वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • 1 कुरिंथियों 11
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

1 कुरिंथियों का सारांश

      • “मेरी मिसाल पर चलो” (1)

      • मुखियापन और सिर ढकना (2-16)

      • प्रभु का संध्या-भोज मनाना (17-34)

1 कुरिंथियों 11:1

संबंधित आयतें

  • +फिल 3:17; 2थि 3:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2010, पेज 12

1 कुरिंथियों 11:2

फुटनोट

  • *

    या “दस्तूर।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1995, पेज 3-4

1 कुरिंथियों 11:3

संबंधित आयतें

  • +रोम 14:9; इफ 4:15; कुल 2:10
  • +इफ 5:23; 1पत 3:1
  • +1कुर 15:27, 28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2021, पेज 2-3

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2015, पेज 22-23

    5/15/2010, पेज 8-16

    5/15/2009, पेज 20

    3/1/2007, पेज 9-13

    8/1/1999, पेज 19-20

    9/1/1998, पेज 15

    6/1/1995, पेज 27

    7/1/1994, पेज 15

    सजग होइए!,

    1/8/1997, पेज 15

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 153-154

    पारिवारिक सुख, पेज 31-32

    ज्ञान, पेज 134-136

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 240

1 कुरिंथियों 11:5

संबंधित आयतें

  • +योए 2:28; प्रेष 21:8, 9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 239-240

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2009, पेज 12-13

    7/15/2002, पेज 26-27

1 कुरिंथियों 11:7

संबंधित आयतें

  • +उत 1:27

1 कुरिंथियों 11:8

संबंधित आयतें

  • +उत 2:22, 23

1 कुरिंथियों 11:9

संबंधित आयतें

  • +उत 2:18

1 कुरिंथियों 11:10

संबंधित आयतें

  • +1कुर 4:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 242

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2009, पेज 24

    7/15/2002, पेज 27

1 कुरिंथियों 11:12

संबंधित आयतें

  • +उत 2:21, 22
  • +1कुर 8:6

1 कुरिंथियों 11:19

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 20:29, 30; 1कुर 1:12; 1ती 4:1; 2पत 2:1

1 कुरिंथियों 11:20

संबंधित आयतें

  • +लूक 22:19, 20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 28

1 कुरिंथियों 11:21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 29

1 कुरिंथियों 11:23

संबंधित आयतें

  • +मत 26:20; लूक 22:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2004, पेज 4

    2/15/2003, पेज 12-13

    3/1/1993, पेज 4-5

    2/1/1991, पेज 25, 26-27

1 कुरिंथियों 11:24

संबंधित आयतें

  • +मत 26:26; मर 14:22; रोम 7:4; 1कुर 10:17
  • +लूक 22:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2013, पेज 24-25

    3/15/2004, पेज 4

    3/1/1994, पेज 3-4

    3/1/1993, पेज 5-6

    2/1/1991, पेज 25, 26-27

1 कुरिंथियों 11:25

संबंधित आयतें

  • +मत 26:27; मर 14:23; 1कुर 10:16
  • +यिर्म 31:31; इब्र 8:8; 9:15
  • +लूक 22:20; इब्र 9:13, 14; 1पत 1:18, 19
  • +निर्ग 12:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2013, पेज 25

    3/1/1994, पेज 3-4

    3/1/1993, पेज 6

    2/1/1991, पेज 25, 27-28

1 कुरिंथियों 11:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2018, पेज 16

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2010, पेज 27

    7/15/2008, पेज 27

    3/15/2004, पेज 6-7

    4/1/2003, पेज 5-6

    2/15/2003, पेज 13

    3/1/1993, पेज 4-5

    2/1/1991, पेज 23

1 कुरिंथियों 11:27

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2020, पेज 27

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2016, पेज 23

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2015, पेज 15-16

    2/15/2003, पेज 17-19

    4/1/1996, पेज 6-8

1 कुरिंथियों 11:28

संबंधित आयतें

  • +2कुर 13:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2015, पेज 15-16

    3/1/1992, पेज 30

1 कुरिंथियों 11:29

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 29-30

1 कुरिंथियों 11:30

फुटनोट

  • *

    ज़ाहिर है कि यहाँ बताया जा रहा है कि परमेश्‍वर के साथ उनका रिश्‍ता टूट चुका था।

संबंधित आयतें

  • +1थि 5:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2015, पेज 15-16

1 कुरिंथियों 11:31

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 25, 29-30

1 कुरिंथियों 11:32

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +इब्र 12:5
  • +2पत 2:20; 3:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 25

1 कुरिंथियों 11:34

संबंधित आयतें

  • +1कुर 11:29

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए आयत संख्या पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

1 कुरिं. 11:1फिल 3:17; 2थि 3:9
1 कुरिं. 11:3रोम 14:9; इफ 4:15; कुल 2:10
1 कुरिं. 11:3इफ 5:23; 1पत 3:1
1 कुरिं. 11:31कुर 15:27, 28
1 कुरिं. 11:5योए 2:28; प्रेष 21:8, 9
1 कुरिं. 11:7उत 1:27
1 कुरिं. 11:8उत 2:22, 23
1 कुरिं. 11:9उत 2:18
1 कुरिं. 11:101कुर 4:9
1 कुरिं. 11:12उत 2:21, 22
1 कुरिं. 11:121कुर 8:6
1 कुरिं. 11:19प्रेष 20:29, 30; 1कुर 1:12; 1ती 4:1; 2पत 2:1
1 कुरिं. 11:20लूक 22:19, 20
1 कुरिं. 11:23मत 26:20; लूक 22:14
1 कुरिं. 11:24मत 26:26; मर 14:22; रोम 7:4; 1कुर 10:17
1 कुरिं. 11:24लूक 22:19
1 कुरिं. 11:25मत 26:27; मर 14:23; 1कुर 10:16
1 कुरिं. 11:25यिर्म 31:31; इब्र 8:8; 9:15
1 कुरिं. 11:25लूक 22:20; इब्र 9:13, 14; 1पत 1:18, 19
1 कुरिं. 11:25निर्ग 12:14
1 कुरिं. 11:282कुर 13:5
1 कुरिं. 11:301थि 5:6
1 कुरिं. 11:32इब्र 12:5
1 कुरिं. 11:322पत 2:20; 3:7
1 कुरिं. 11:341कुर 11:29
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • 13
  • 14
  • 15
  • 16
  • 17
  • 18
  • 19
  • 20
  • 21
  • 22
  • 23
  • 24
  • 25
  • 26
  • 27
  • 28
  • 29
  • 30
  • 31
  • 32
  • 33
  • 34
पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
1 कुरिंथियों 11:1-34

कुरिंथियों के नाम पहली चिट्ठी

11 मेरी मिसाल पर चलो, ठीक जैसे मैं मसीह की मिसाल पर चलता हूँ।+

2 मैं तुम्हारी तारीफ करता हूँ क्योंकि तुम सब बातों में मुझे याद करते हो और जो हिदायतें* मैंने तुम्हें दी थीं, उन्हें तुम सख्ती से मानते हो। 3 मगर मैं चाहता हूँ कि तुम जान लो कि हर आदमी का सिर मसीह है+ और औरत का सिर आदमी है+ और मसीह का सिर परमेश्‍वर है।+ 4 हर आदमी जो अपना सिर ढककर प्रार्थना या भविष्यवाणी करता है, वह अपने सिर का अपमान करता है। 5 मगर हर औरत जो बिना सिर ढके प्रार्थना या भविष्यवाणी करती है,+ वह अपने सिर का अपमान करती है, क्योंकि वह उस औरत जैसी होगी जिसका सिर मुँड़ाया गया हो। 6 इसलिए कि अगर एक औरत अपना सिर नहीं ढकती, तो वह अपने बाल कटवा ले। लेकिन अगर एक औरत के लिए बाल कटवाना या सिर मुँड़ाना शर्मनाक बात है, तो उसे अपना सिर ढकना चाहिए।

7 एक आदमी को अपना सिर नहीं ढकना चाहिए, क्योंकि वह परमेश्‍वर की छवि+ और उसकी महिमा है। लेकिन औरत, आदमी की महिमा है। 8 इसलिए कि आदमी औरत से नहीं निकला, बल्कि औरत आदमी से निकली है।+ 9 साथ ही, आदमी को औरत के लिए नहीं, बल्कि औरत को आदमी के लिए बनाया गया था।+ 10 इसलिए स्वर्गदूतों की वजह से एक औरत को चाहिए कि वह अपने सिर पर अधीनता की निशानी रखे।+

11 फिर भी, प्रभु के इंतज़ाम में न औरत आदमी के बिना है, न आदमी औरत के बिना। 12 इसलिए कि जैसे औरत आदमी से निकली है,+ वैसे ही आदमी औरत के ज़रिए आया है, लेकिन सबकुछ परमेश्‍वर से निकला है।+ 13 तुम खुद ही फैसला करो: क्या यह सही है कि एक औरत बिना सिर ढके परमेश्‍वर से प्रार्थना करे? 14 क्या यह स्वाभाविक नहीं कि अगर एक आदमी के बाल लंबे हों तो यह उसके लिए अपमान की बात होती है? 15 लेकिन अगर एक औरत के बाल लंबे हों, तो ये उसकी शोभा हैं? क्योंकि उसे ओढ़नी के बजाय उसके बाल दिए गए हैं। 16 लेकिन अगर कोई किसी दूसरे दस्तूर को मानने के लिए बहस करे, तो वह जान ले कि हमारे बीच और परमेश्‍वर की मंडलियों के बीच कोई और दस्तूर नहीं।

17 मगर ये हिदायतें देते वक्‍त, मैं तुम्हारी तारीफ नहीं करता क्योंकि जब तुम इकट्ठा होते हो, तो भला होने से ज़्यादा बुरा होता है। 18 सबसे पहले तो मेरे सुनने में आया है कि जब तुम मंडली में इकट्ठा होते हो, तो तुम्हारे बीच फूट होती है और कुछ हद तक मैं इस बात पर यकीन भी करता हूँ। 19 तुम्हारे बीच गुट भी ज़रूर होंगे+ और इससे तुम्हारे बीच वे लोग भी साफ नज़र आएँगे जिन पर परमेश्‍वर की मंज़ूरी है।

20 जब तुम प्रभु के संध्या-भोज के लिए एक जगह इकट्ठा होते हो, तो असल में तुम भोज खाने के लिए इकट्ठा नहीं होते।+ 21 क्योंकि प्रभु के संध्या-भोज से पहले तुममें से कुछ लोग शाम का खाना खा चुके होते हैं, इसलिए कोई भूखा होता है तो कोई पीकर धुत्त होता है। 22 क्या खाने-पीने के लिए तुम्हारे घर नहीं हैं? या क्या तुम परमेश्‍वर की मंडली को तुच्छ समझते हो और जिनके पास कुछ नहीं उन्हें शर्मिंदा करते हो? मैं तुमसे क्या कहूँ? क्या मैं तुम्हारी तारीफ करूँ? मैं इस बात में तुम्हारी तारीफ नहीं करता।

23 जो बात प्रभु ने मुझे बतायी थी, वही मैंने तुम्हें सिखायी थी कि जिस रात+ प्रभु यीशु के साथ विश्‍वासघात करके उसे पकड़वाया जानेवाला था, उसने एक रोटी ली 24 और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद, उसे तोड़ा और कहा, “यह मेरे शरीर की निशानी है,+ जो तुम्हारी खातिर दिया जाना है। मेरी याद में ऐसा ही किया करना।”+ 25 जब वे शाम का खाना खा चुके, तो उसने प्याला लेकर भी ऐसा ही किया+ और कहा, “यह प्याला उस नए करार की निशानी है+ जिसे मेरे खून से पक्का किया जाएगा।+ जब कभी तुम इसे पीते हो तो मेरी याद में ऐसा करो।”+ 26 जब कभी तुम यह रोटी खाते हो और यह प्याला पीते हो, तो तुम उसकी मौत का ऐलान करते हो और ऐसा तुम प्रभु के आने तक करते रहोगे।

27 इसलिए हर कोई जो अयोग्य दशा में रोटी खाता या प्रभु के प्याले में से पीता है, वह प्रभु के शरीर और खून के मामले में दोषी ठहरेगा। 28 एक आदमी पहले अपनी जाँच करे कि वह इस लायक है या नहीं,+ इसके बाद ही वह रोटी में से खाए और प्याले में से पीए। 29 इसलिए कि जो प्रभु के शरीर के मायने समझे बिना खाता और पीता है, वह खुद पर सज़ा लाता है। 30 इसीलिए तुम्हारे बीच बहुत-से लोग कमज़ोर और बीमार हैं और कई मौत की नींद सो रहे हैं।*+ 31 लेकिन अगर हम खुद की जाँच करें कि हम असल में क्या हैं, तो हम दोषी नहीं ठहरेंगे। 32 और जब हम दोषी ठहरते हैं, तो यहोवा* हमें सुधारता है+ ताकि हम दुनिया के साथ सज़ा न पाएँ।+ 33 इसलिए मेरे भाइयो, जब तुम इसे खाने के लिए इकट्ठा होते हो, तो एक-दूसरे का इंतज़ार करो। 34 अगर कोई भूखा है, तो वह घर पर खाए ताकि तुम्हारा इकट्ठा होना सज़ा का कारण न बने।+ बाकी बातें जब मैं वहाँ आऊँगा तब सुधारूँगा।

हिंदी साहित्य (1972-2023)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2023 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता की नीति
  • Privacy Settings
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें