30 और अगर तेरा दायाँ हाथ तुझसे पाप करवा रहा है,* तो उसे काटकर दूर फेंक दे।+ अच्छा यही होगा कि तू अपना एक अंग गँवा दे, बजाय इसके कि तेरा पूरा शरीर गेहन्ना में डाल दिया जाए।+
8 इसलिए अगर तेरा हाथ या पैर तुझसे पाप करवाता है* तो उसे काटकर दूर फेंक दे।+ अच्छा यही होगा कि तू एक हाथ या पैर के बिना जीवन पाए, बजाय इसके कि तू दोनों हाथों या पैरों समेत हमेशा जलनेवाली आग से नाश किया जाए।+
5 इसलिए अपने शरीर के उन अंगों को* मार डालो+ जिनमें ऐसी लालसाएँ पैदा होती हैं जैसे, नाजायज़ यौन-संबंध,* अशुद्धता, बेकाबू होकर वासनाएँ पूरी करना,+ बुरी इच्छाएँ और लालच जो कि मूर्तिपूजा के बराबर है।