17 लेकिन जो बुद्धि स्वर्ग से मिलती है वह सबसे पहले तो पवित्र,+ फिर शांति कायम करनेवाली,+ लिहाज़ करनेवाली,+ आज्ञा मानने के लिए तैयार, दया और अच्छे कामों से भरपूर होती है।+ यह भेदभाव नहीं करती+ और न ही कपटी होती है।+
22 तुमने सच्चाई के वचन को मानकर खुद को शुद्ध किया है जिस वजह से तुम निष्कपट मन से एक-दूसरे के लिए भाइयों जैसा लगाव रखते हो,+ इसलिए अब पूरे जतन के साथ एक-दूसरे को दिल से प्यार करो।+