31 शमौन, शमौन, देख! शैतान ने तुम लोगों को गेहूँ की तरह फटकने की माँग की है।+32 मगर मैंने तेरे लिए मिन्नत की है कि तू अपना विश्वास खो न दे।+ जब तू पश्चाताप करके लौट आए, तो अपने भाइयों को मज़बूत करना।”+
9 इस तरह यहोवा* जानता है कि जो उसकी भक्ति करते हैं उन्हें परीक्षा से कैसे निकाले+ और दुष्टों को न्याय के दिन तक कैसे रख छोड़े ताकि उस दिन उनका नाश कर दे,*+