भजन
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
64 हे परमेश्वर, जब मैं मिन्नत करूँ तो मेरी सुन।+
दुश्मन के खतरनाक हमलों से मेरी जान बचा।
3 वे अपनी जीभ तलवार की तरह तेज़ करते हैं,
कड़वे शब्दों के तीरों से निशाना साधते हैं
4 ताकि छिपकर निर्दोष पर वार करें।
वे बेधड़क होकर उस पर अचानक तीर चलाते हैं।
वे कहते हैं, “इन फंदों पर किसकी नज़र जाएगी?”+
6 वे गुनाह करने के नए-नए तरीके खोजते हैं,
बड़ी चालाकी से जाल बिछाने की तरकीबें बुनते हैं,+
उनके दिल के विचार समझना नामुमकिन है।