मीका
2 “धिक्कार है उन पर, जो बुरे कामों की योजना बनाते हैं,
जो बिस्तर पर लेटे-लेटे साज़िश रचते हैं
और सुबह होते ही उसे अंजाम देते हैं,
उनके पास ऐसा करने की ताकत जो है।+
2 वे खेतों का लालच करके उन्हें हड़प लेते हैं,+
घरों का लालच करके उन्हें भी हथिया लेते हैं।
वे धोखा देकर एक आदमी से उसका घर
और उसकी विरासत छीन लेते हैं।+
3 इसलिए यहोवा कहता है,
‘मैंने इस घराने पर एक विपत्ति लाने की सोची है,+ जिससे तुम बच नहीं सकोगे।*+
तुम फिर कभी घमंड से फूलकर नहीं चलोगे+ क्योंकि वह विपत्ति का समय होगा।+
4 उस दिन लोग तुम्हारे बारे में कहावत कहेंगे और तुम्हारे हाल पर ज़ोर-ज़ोर से रोएँगे।+
वे कहेंगे, “हम तो पूरी तरह तबाह हो चुके हैं!+
उसने हमारे लोगों की ज़मीन किसी और को दे दी।
हमारी ही ज़मीन हमसे छीन ली!+
हमारे खेत एक अविश्वासी को दे दिए।”
5 इसलिए यहोवा की मंडली में ऐसा कोई नहीं होगा,
जो नापने की डोरी से ज़मीन नापकर बाँटेगा।
7 हे याकूब के घराने, तू कहता है,
“क्या यहोवा* बेसब्र हो गया है?
क्या वह सचमुच ऐसा करेगा?”
क्या मेरी बातें सीधाई से चलनेवालों की भलाई नहीं करेंगी?
8 लेकिन कुछ वक्त से मेरे अपने ही लोग दुश्मन बन बैठे हैं।
तुम सरेआम उन राहगीरों को लूटते हो, जो युद्ध से लौटनेवालों की तरह बेखौफ चलते हैं।
तुम उनके कपड़ों से* सुंदर-सुंदर चीज़ें उतरवा लेते हो।
9 तुम मेरी प्रजा की औरतों को उनके प्यारे आशियाने से खदेड़ देते हो,
उनके बच्चों से वे अच्छी-अच्छी चीज़ें हमेशा के लिए छीन लेते हो, जो मैंने उन्हें दी थीं।
यह बरबादी बहुत दर्दनाक होगी!+
11 अगर कोई आदमी खोखली और झूठी बातों के पीछे जाए और कहे,
“मैं तुम्हें दाख-मदिरा और शराब के बारे में बताऊँगा,”
तो लोगों को वही प्रचारक अच्छा लगेगा।+
मैं उन्हें एकता में ऐसे रखूँगा,
जैसे भेड़ें एक-साथ बाड़े में रहती हैं,
जैसे भेड़ों का झुंड चरागाह में चरता है+
और वह जगह लोगों के शोर से गूँज उठेगी।’+
उनका राजा उनके आगे-आगे जाएगा
और यहोवा उन सबकी अगुवाई करेगा।”+