भजन
तीसरी किताब
(भजन 73-89)
आसाप+ का सुरीला गीत।
73 परमेश्वर वाकई इसराएल का, शुद्ध मनवालों का भला करता है।+
5 उन्हें ज़िंदगी में कोई गम नहीं, जैसे औरों को है।+
वे मुसीबत की मार नहीं सहते, जैसे दूसरे सहते हैं।+
8 वे दूसरों को नीचा दिखाते हैं, बुरी-बुरी बातें कहते हैं,+
मगरूर होकर उन्हें डराते-धमकाते हैं।+
9 वे ऐसे बात करते हैं मानो आसमान में हों,
धरती पर उनकी ज़बान बड़ी-बड़ी डींगें हाँकती है।
10 इसलिए उसके लोग उनकी तरफ हो जाते हैं,
उनका उमड़ता पानी पीते हैं।
11 वे कहते हैं, “क्या परमेश्वर यह सब जानता है?+
क्या परम-प्रधान परमेश्वर को वाकई इसकी जानकारी है?”
12 इन दुष्टों को ही सबकुछ आराम से मिल जाता है।+
वे दौलत का अंबार लगाते जाते हैं।+
16 जब मैंने इन हालात को समझने की कोशिश की,
तो मैं परेशान हो उठा।
17 मेरी यह उलझन तब दूर हुई जब मैं परमेश्वर के शानदार भवन में गया
और मैंने उन दुष्टों के अंजाम के बारे में सोचा।
18 बेशक, तू उन्हें फिसलनेवाली ज़मीन पर खड़ा करता है।+
तू उन्हें गिरा देता है ताकि वे बरबाद हो जाएँ।+
19 वे कैसे अचानक नाश हो जाते हैं!+
अचानक ही उनका बुरी तरह अंत हो जाता है!
20 जैसे कोई नींद से जागने के बाद सपना याद नहीं रखता
वैसे ही हे यहोवा, जब तू उठेगा तो उनकी छवि भुला देगा।*
22 मैं अपनी बुद्धि और समझ खो बैठा था,
तेरे सामने निर्बुद्धि जानवर जैसा हो गया था।
25 तेरे सिवा स्वर्ग में मेरा और कौन है?
तू मेरे साथ है तो मुझे धरती पर और किसी की ज़रूरत नहीं।+
26 चाहे मेरा तन और मन कमज़ोर होता जाए,
मगर परमेश्वर वह चट्टान है जो मेरे दिल को मज़बूती देता है,
वही सदा के लिए मेरा भाग है।+
27 जो तुझसे दूरी बनाए रखते हैं उन्हें तू ज़रूर नाश कर देगा।
जो भी तुझसे बेवफाई करके* तुझे छोड़ देता है उसका तू अंत कर देगा।+
28 मगर मेरे लिए परमेश्वर के करीब जाना भला है।+
मैंने सारे जहान के मालिक यहोवा की पनाह ली है
ताकि उसके सभी कामों का ऐलान करूँ।+