गीत 54
हमारा विश्वास सच्चा हो!
1. है ज़ा-हिर कि-या पै-गं-ब-रों ने
क-हा ते-रे बे-टे ने भी।
‘पछ-ता-वा क-रो, नेक राह पे च-लो’
है मर-ज़ी याह की य-ही।
(कोरस)
क्या ई-मान है ते-रा ख-रा?
तू दि-खा का-मों से ज़-रा।
गर ई-मान हो सच्-चा ते-रा
ह-मे-शा का जी-वन तू पा-ए-गा।
2. उ-ठा ख़ु-शी से यी-शु का जु-आ
सं-देश याह के राज का सु-ना।
जा-के हर ज-गह, सच्-चा-ई ब-ता
तू हर-दम हिम्-मत दि-खा।
(कोरस)
क्या ई-मान है ते-रा ख-रा?
तू दि-खा का-मों से ज़-रा।
गर ई-मान हो सच्-चा ते-रा
ह-मे-शा का जी-वन तू पा-ए-गा।
3. विश्-वास की ये ढाल, तू रख-ना सँ-भाल
हि-फ़ा-ज़त ते-री हो स-के।
बै-री हों स-भी, डर-ना ना क-भी
छुट-का-रा तुम दे-खो-गे।
(कोरस)
क्या ई-मान है ते-रा ख-रा?
तू दि-खा का-मों से ज़-रा।
गर ई-मान हो सच्-चा ते-रा
ह-मे-शा का जी-वन तू पा-ए-गा।
(रोमि. 10:10; इफि. 3:12; इब्रा. 11:6; 1 यूह. 5:4 भी देखिए।)