बुधवार, 27 मार्च
‘परमेश्वर के राज को पहली जगह दो।’—मत्ती 6:33.
यीशु की मौत के बाद उसके चेले बहुत दुखी थे। उन्होंने ना सिर्फ अपना दोस्त खो दिया था, बल्कि ऐसा लगता है कि उन्होंने उम्मीद भी खो दी थी। (लूका 24:17-21) लेकिन ज़िंदा होने के बाद जब यीशु उनसे आकर मिला, तो वे कितने खुश हो गए होंगे! उसने उन्हें समझाया कि उसके बलिदान से बाइबल की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं। और उसने उन्हें एक ज़रूरी काम भी दिया। (लूका 24:26, 27, 45-48) जब तक यीशु वापस स्वर्ग गया, तब तक चेलों का दुख, खुशी में बदल चुका था। वे खुश थे कि यीशु ज़िंदा है और वह उस काम को पूरा करने में उनकी मदद करेगा जो उसने उन्हें दिया था। इसी खुशी ने उन्हें उभारा कि वे यहोवा की महिमा करते रहें। (लूका 24:52, 53; प्रेषि. 5:42) यीशु के चेलों की तरह बनने के लिए ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के राज को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दें। और यहोवा भी वादा करता है कि अगर हम वफादारी से उसकी सेवा करते रहें, तो वह हमें ढेरों आशीषें देगा।—नीति. 10:22. प्र23.01 पेज 30-31 पै 15-16
स्मारक से जुड़ी आयतें: (नीसान 16: सूरज ढलने से पहले हुई घटनाएँ) मरकुस 16:2-8
गुरुवार, 28 मार्च
[तू ] वापस मिट्टी में मिल जाएगा।—उत्प. 3:19.
अगर हम आदम-हव्वा की तरह गलती नहीं करना चाहते, तो यह बहुत ज़रूरी है कि हम यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाएँ। और ऐसा हम तभी कर पाएँगे जब हम यहोवा के बारे में जानेंगे, उसके गुणों के बारे में सीखेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि वह कैसे सोचता है। अब्राहम ने भी ऐसा ही किया। वह यहोवा से बहुत प्यार करता था। कई बार यहोवा ने कोई ऐसा फैसला लिया जो उसे समझ में नहीं आया। लेकिन तब भी उसने यहोवा के फैसले पर उँगली नहीं उठायी, बल्कि यह समझने की कोशिश की कि यहोवा ऐसा क्यों कह रहा है। जैसे, जब यहोवा ने उसे बताया कि वह सदोम और अमोरा का नाश करनेवाला है, तो अब्राहम घबरा गया। उसे लगा कि कहीं “सारी दुनिया का न्याय करनेवाला” दुष्टों के साथ नेक लोगों को भी ना मिटा दे। अब्राहम सोच रहा था कि यहोवा ऐसा कैसे कर सकता है, इसलिए उसने यहोवा से कुछ सवाल किए। और यहोवा ने उसके सभी सवालों के जवाब दिए। इस तरह वह यहोवा को और भी अच्छी तरह जान पाया। वह समझ पाया कि यहोवा लोगों का दिल देखता है। वह कभी-भी किसी निर्दोष को सज़ा नहीं देगा।—उत्प. 18:20-32. प्र22.08 पेज 28 पै 9-10
शुक्रवार, 29 मार्च
भरोसेमंद इंसान राज़ को राज़ ही रखता है।—नीति. 11:13.
ईसा पूर्व 455 में जब यरूशलेम की शहरपनाह दोबारा बनकर तैयार हो गयी, तो राज्यपाल नहेमायाह ऐसे लोगों को ढूँढ़ने लगा जो शहर की अच्छी तरह देखरेख कर सकें। इस काम के लिए उसने जिन लोगों को चुना, उनमें किले का प्रधान हनन्याह भी था। बाइबल में उसके बारे में लिखा है, “वह दूसरों से ज़्यादा सच्चे परमेश्वर का डर मानता था और बहुत भरोसेमंद था।” (नहे. 7:2) वह यहोवा से प्यार करता था और ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जो यहोवा को पसंद ना हो। इसलिए उसे जो भी काम दिया जाता था, वह उसे पूरी लगन से करता था। अगर हम भी यहोवा से प्यार करेंगे और उसका डर मानेंगे, तो हमें जो भी ज़िम्मेदारी दी जाएगी, हम उसे अच्छी तरह निभाएँगे और फिर भाई-बहन हम पर भरोसा कर पाएँगे। हम तुखिकुस से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। वह पौलुस का एक भरोसेमंद दोस्त था। उसने पौलुस का बहुत साथ दिया, इसलिए पौलुस ने उसके बारे में कहा कि वह एक “विश्वासयोग्य सेवक” है। (इफि. 6:21, 22) तुखिकुस को इफिसुस और कुलुस्से के भाई-बहनों तक चिट्ठियाँ पहुँचानी थीं। पर पौलुस ने उसे एक और ज़िम्मेदारी दी। उसने कहा कि वह वहाँ के भाइयों का हौसला बढ़ाए और उन्हें दिलासा दे। उसे पूरा भरोसा था कि तुखिकुस यह ज़िम्मेदारी अच्छी तरह पूरी करेगा। तुखिकुस की तरह आज भी ऐसे कई भरोसेमंद भाई हैं जो यहोवा के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं।—कुलु. 4:7-9. प्र22.09 पेज 9-10 पै 5-6