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आदर्श प्रार्थना के मुताबिक ज़िंदगी जीओ—भाग एकप्रहरीदुर्ग—2015 | जून 15
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“हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है”
4. शब्द “हे हमारे पिता” से क्या पता चलता है? हम किस वजह से यहोवा को पिता कह सकते हैं?
4 यीशु ने प्रार्थना की शुरूआत इस तरह की, “हे हमारे पिता।” इन शब्दों से पता चलता है कि पूरी दुनिया में जितने भी हमारे भाई-बहन हैं, यहोवा उन सबका पिता है। (1 पत. 2:17) जिन लोगों को यहोवा ने स्वर्ग में जीने के लिए चुना है, उन्हें उसने अपने बेटों के तौर पर गोद लिया है। इसलिए वह उनका एक खास मायने में पिता है। (रोमि. 8:15-17) जो लोग धरती पर हमेशा-हमेशा जीएँगे, वे भी यहोवा को “पिता” कह सकते हैं। वह इसलिए कि यहोवा उन्हें जीवन देता है और प्यार से उनकी ज़रूरतें पूरी करता है। जब वे सिद्ध हो जाएँगे और आखिरी परीक्षा के दौरान यहोवा के वफादार बने रहेंगे, तब उन्हें “परमेश्वर के बच्चे” कहा जाएगा।—रोमि. 8:21; प्रका. 20:7, 8.
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आदर्श प्रार्थना के मुताबिक ज़िंदगी जीओ—भाग एकप्रहरीदुर्ग—2015 | जून 15
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“तेरा नाम पवित्र किया जाए”
7. हमें क्या सम्मान मिला है और हमें क्या करना चाहिए?
7 हमें परमेश्वर का नाम जानने और ऐसे लोग होने का सम्मान मिला है, जो उसके “नाम से पहचाने” जाते हैं। (प्रेषि. 15:14; यशा. 43:10) हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता से प्रार्थना करते हैं, “तेरा नाम पवित्र किया जाए।” इस वजह से हम यहोवा से प्रार्थना में मदद माँगते हैं कि हम ऐसा कोई काम न करें या ऐसी कोई बात न कहें जिससे उसके पवित्र नाम का अनादर हो सकता है। हमें पहली सदी के उन लोगों की तरह नहीं होना चाहिए, जो लोगों को सिखाते तो कुछ और थे, लेकिन करते कुछ और थे। पौलुस ने उन्हें लिखा, “तुम्हारी वजह से राष्ट्रों के बीच परमेश्वर के नाम की बदनामी हो रही है।”—रोमि 2:21-24.
8, 9. एक उदाहरण देकर समझाइए कि कैसे यहोवा उन लोगों की मदद करता है, जो उसके नाम को पवित्र करना चाहते हैं।
8 हमसे जितना हो सकता है हम यहोवा के नाम को पवित्र करने की कोशिश करते हैं। नॉर्वे की रहनेवाली एक बहन का बेटा जब दो साल का ही था, तब उसके पति की मौत हो गयी। पति की मौत के बाद वह बिलकुल अकेली पड़ गयी। वह कहती है, “यह मेरी ज़िंदगी का बहुत मुश्किल दौर था। मैं परमेश्वर से ताकत पाने के लिए रोज़ प्रार्थना करती थी, करीब-करीब हर घंटे ताकि मैं खुद को सँभाल सकूँ और कोई गलत फैसला न लूँ, न ही यहोवा से विश्वासघात करूँ। क्योंकि मैं शैतान को यहोवा पर ताने कसने का कोई मौका नहीं देना चाहती थी। मैं यहोवा के नाम को पवित्र करना चाहती थी और मैं चाहती थी कि मेरा बेटा फिरदौस में अपने पिता को फिर से देखे।”—नीति. 27:11.
9 क्या यहोवा ने उसकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया? हाँ। लगातार भाई-बहनों की संगति करने से उसका बहुत हौसला बढ़ा। पाँच साल बाद उस बहन ने एक प्राचीन से शादी की। अब उसका बेटा 20 साल का हो गया है और वह एक बपतिस्मा-शुदा भाई है। वह बहन कहती है, “मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे पति ने मेरे बेटे की परवरिश करने में मेरी मदद की है।”
10. परमेश्वर के नाम को पूरी तरह से पवित्र किए जाने के लिए क्या ज़रूरी है?
10 यहोवा के नाम को पूरी तरह से पवित्र किए जाने और उस पर लगे सारे इलज़ाम मिटाने के लिए क्या ज़रूरी है? इसके लिए ज़रूरी है कि यहोवा उन सभी का वजूद मिटा दे, जो उसके नाम का अनादर करते हैं और उसे अपना राजा मानने से इनकार कर देते हैं। (यहेजकेल 38:22, 23 पढ़िए।) इसके बाद, धीरे-धीरे बाकी सभी इंसान सिद्ध हो जाएँगे। तब स्वर्ग में और धरती पर सभी यहोवा की उपासना करेंगे और उसके पवित्र नाम का आदर करेंगे। इस सबके बाद, हमारा प्यारा पिता “सबके लिए सबकुछ” होगा।—1 कुरिं. 15:28.
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