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क्या आप परमेश्वर के साथ-साथ चलेंगे?प्रहरीदुर्ग—2005 | नवंबर 1
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5. यीशु ने एक इंसान की उम्र में एक हाथ बढ़ाने की बात क्यों कही?
5 बाइबल अकसर ज़िंदगी की तुलना एक सफर या चलने से करती है। कुछ आयतों में यह तुलना साफ-साफ दिखायी देती है, तो कुछ में इसकी तरफ इशारा किया गया है। मिसाल के लिए, यीशु ने कहा था: “तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी अवस्था में एक हाथ भी बढ़ा सकता है?” (मत्ती 6:27, फुटनोट) इस आयत के शब्द पढ़ने के बाद, आप शायद उलझन में पड़ जाएँ। “अवस्था” या उम्र का हिसाब समय से रखा जाता है, जबकि “हाथ” से दूरी नापी जाती है। तो फिर यीशु ने एक इंसान की “अवस्था” में “एक हाथ” बढ़ाने की बात क्यों कही?a इसलिए कि शायद वह ज़िंदगी की तुलना एक सफर से कर रहा था। इस तरह, वह सिखा रहा था कि चिंता करने का कोई फायदा नहीं क्योंकि इससे ज़िंदगी के सफर में एक छोटा कदम भी आप जोड़ नहीं पाएँगे। लेकिन, क्या इसका यह मतलब है कि परमेश्वर के साथ हम कितनी दूर तक चल पाएँगे, इस बारे में हम कुछ नहीं कर सकते? जी नहीं, इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है! यही बात हमें दूसरे सवाल पर लाती है, हमारे लिए क्यों परमेश्वर के साथ-साथ चलना ज़रूरी है?
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क्या आप परमेश्वर के साथ-साथ चलेंगे?प्रहरीदुर्ग—2005 | नवंबर 1
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a कुछ बाइबल अनुवादों में, इस आयत में शब्द “एक हाथ” को बदलकर “एक घड़ी” (NHT; नयी हिन्दी बाइबिल) इस्तेमाल किया गया है, जो कि समय का हिसाब है। मगर, बाइबल की मूल भाषा में जो शब्द इस्तेमाल किया गया उसका असली मतलब पक्के तौर पर एक हाथ ही है। एक हाथ की लंबाई करीब 45 सेंटीमीटर होती है।
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