‘विश्वासयोग्य दास’ और उसका शासी वर्ग
“वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर चाकरों पर सरदार ठहराया है, कि सही समय पर उन्हें भोजन दे?”—मत्ती २४:४५, न्यू.व.
१. यहोवा दूसरों को अधिकार सौंपने के लिए क्यों तैयार हैं, और उन्होंने यह मुख्यतः किसे दिया है?
यहोवा व्यवस्था के परमेश्वर हैं। वह सारे वैध अधिकार का स्रोत भी हैं। चूँकि उसे अपनी विश्वसनीय सृष्टि की वफ़ादारी पर भरोसा है, वह दूसरों को अधिकार सौंपने के लिए तैयार हैं। जिस व्यक्ति को उन्होंने सबसे ज़्यादा अधिकार सौंपा, वह उनका पुत्र, यीशु मसीह है। वास्तव में, परमेश्वर ने “सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया, और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया।”—इफिसियों १:२२.
२. पौलुस मसीही कलीसिया को क्या कहते हैं, और मसीह ने किसे अधिकार सौंपा है?
२ प्रेरित पौलुस मसीही कलीसिया को “परमेश्वर का परिवार” कहते हैं और बताते हैं कि यहोवा के वफ़ादार पुत्र, यीशु मसीह, को इस घर का अधिकारी बना दिया गया। (१ तीमुथियुस ३:१५, न्यू.व.; इब्रानियों ३:६) पारी से, यीशु परमेश्वर के परिवार के सदस्यों को अधिकार सौंपते हैं। हम इसे मत्ती २४:४५-४७ में लिपिबद्ध, यीशु के शब्दों से देख सकते हैं। उन्होंने कहा: “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर चाकरों पर सरदार ठहराया, कि सही समय पर उन्हें भोजन दे? धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम से सच कहता हूँ; वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।” (न्यू.व.)
पहली-सदी का गृह प्रबंधक
३. “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” किन से बनता है, और व्यक्तिगत रूप से उन्हें किस नाम से बुलाया जाता है?
३ अपनी धर्मशास्त्र के ध्यानयुक्त अध्ययन से, हम जानते हैं कि किसी भी निश्चित समय पर परमेश्वर के परिवार के आत्मा से अभिषिक्त सदस्य सामूहिक रूप से “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास,” “कारिन्दा,” या “गृह प्रबंधक” बनते हैं। वैयक्तिक रूप से, यहोवा के परिवार के सदस्यों को “नौकर” या “परिचरों का समूह” कहा जाता है।—मत्ती २४:४५; लूका १२:४२; रेफ़रेंस बाइबल, फुटनोट.
४. अपनी मृत्यु से कुछ ही समय पहले, यीशु ने कौनसा सवाल किया, और उन्होंने अपनी तुलना किस से की?
४ अपनी मृत्यु से कुछ महीने पहले, यीशु ने यह सवाल किया, जो लूका १२:४२ में लिपिबद्ध है: “वह विश्वास-योग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिस का स्वामी उसे नौकर चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर भोजन सामग्री का उचित परिमाण दे?” (न्यू.व.) फिर, उनके मरने से कुछ ही दिन पहले, यीशु ने अपनी तुलना एक ऐसे आदमी से की जो विदेश जाने ही वाला था, और जिसने अपने दासों को बुलाकर, अपनी सम्पत्ति उनको सौंप दी।—मत्ती २५:१४.
५. (अ) यीशु ने अपनी सम्पत्ति की देख-रेख करने के लिए दूसरों को कब नियुक्त किया? (ब) यीशु ने उन लोगों को कौनसा विस्तृत नियतकार्य सौंपा, जो उनके सामूहिक गृह प्रबंधक का एक हिस्सा बनते?
५ यीशु ने अपनी सम्पत्ति की देख-रेख करने के लिए दूसरों को कब नियुक्त किया? यह उनके पुनरुत्थान के बाद घटित हुआ। मत्ती २८:१९, २० में पाए उनके सुज्ञात शब्दों में, मसीह ने पहले उन लोगों को सिखाने और शिष्य बनाने का एक विस्तृत नियतकार्य सौंपा, जो उनके सामूहिक गृह प्रबंधक का एक हिस्सा बनते। व्यक्तिगत रूप से “पृथ्वी की छोर तक” गवाही देने के ज़रिए, ये परिचर उस मिशनरी क्षेत्र को विस्तृत करते जो यीशु ने अपनी पार्थिव सेवकाई के दौरान शुरू की थी। (प्रेरितों के काम १:८) इस में उनका “मसीह के राजदूत” के तौर से कार्य करना शामिल था। “परमेश्वर के भेदों के भण्डारी” होने के नाते, वे शिष्य बनाते और उन्हें आध्यात्मिक भोजन देते।—२ कुरिन्थियों ५:२०; १ कुरिन्थियों ४:१, २.
परिवार का शासी वर्ग
६. पहली-सदी का कारिन्दा वर्ग किस बात का प्रबंध करने के लिए ईश्वरीय रूप से प्रेरित हुआ?
६ सामूहिक रूप से, आत्मा से अभिषिक्त मसीहियों को मालिक के कारिन्दे, या गृह प्रबंधक होना था, जिन्हें परमेश्वर के परिवार के वैयक्तिक सदस्यों को समयोचित आध्यात्मिक भोजन देने के लिए नियुक्त किया गया था। सामान्य युग ४१ और सा.यु. ९८ के सालों के दौरान, इस पहली-सदी के कारिन्दा वर्ग के सदस्य अपने भाइयों के फ़ायदे के लिए, ५ ऐतिहासिक वृत्तान्त, २१ पत्रियाँ, और प्रकाशितवाक्य की किताब लिखने के लिए ईश्वरीय रूप से प्रेरित हुए। इन प्रेरित रचनाओं में नौकर, यानी, परमेश्वर के परिवार के वैयक्तिक अभिषिक्त जनों के लिए उत्तम आध्यात्मिक भोजन सम्मिलित है।
७. मसीह ने दास वर्ग में से थोड़े आदमियों को किस मक़सद से चुन लिया?
७ जबकि सभी अभिषिक्त मसीही सामूहिक रूप से परमेश्वर का परिवार बनते हैं, ऐसा बहुत सबूत मौजूद है कि मसीह ने उस दास वर्ग में से थोड़े आदमियों को एक दृश्य शासी वर्ग के तौर से काम करने के लिए चुना। कलीसिया का प्रारंभिक इतिहास दिखाता है कि १२ प्रेरित, जिन में मत्तिय्याह भी शामिल था, पहली-सदी के शासी वर्ग की बुनियाद थे। प्रेरितों के काम १:२०-२६ हमें इस बात का एक संकेत देता है। यहूदा इस्करियोती के स्थान पर एक दूसरे व्यक्ति को नियुक्त करने के संबंध में, वहाँ उसके “अध्यक्ष के पद” एवं “सेवकाई और प्रेरिताई” का ज़िक्र किया गया है।—न्यू.व.
८. पहली-सदी के शासी वर्ग की ज़िम्मेदारियों में क्या-क्या शामिल था?
८ अध्यक्षता के ऐसे पद में उपयुक्त आदमियों को सेवा के पदों पर नियुक्त करने और सेवकाई को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रेरितों की ज़िम्मेदारी शामिल थी। लेकिन यह और भी अधिक अर्थ रखता था। इस में धर्ममत के विषयों को सिखाना और स्पष्ट करना भी शामिल था। यूहन्ना १६:१३ में लिपिबद्ध यीशु के वादे को पूरा करते हुए, “सत्य की आत्मा” मसीही कलीसिया को प्रगतिशील रूप से सब सत्य के मार्ग में चलाने वाली थी। शुरू से ही, जिन लोगों ने वचन ग्रहण किया और बपतिस्मा-प्राप्त, अभिषिक्त मसीही बन गए, वे “प्रेरितों से शिक्षा” पाने में लवलीन रहे। दरअसल, सात संस्तुत आदमियों को भोजन वितरित करने के आवश्यक काम के लिए नियुक्त किए जाने का कारण यही था, कि ‘वे बारह प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहने के लिए मुक्त रह सकते थे।’—प्रेरितों के काम २:४२; ६:१-६.
९. प्रारंभिक शासी वर्ग की संख्या ११ सदस्यों तक कैसे घट गयी, लेकिन वह संख्या तुरन्त १२ तक क्यों नहीं लायी गयी?
९ ऐसा मालूम पड़ता है कि शुरू में शासी वर्ग सिर्फ़ यीशु के प्रेरितों से बना था। पर क्या यह ऐसे ही रहता? सा.यु. के वर्ष ४४ के आस-पास, हेरोद अग्रिप्पा I ने यूहन्ना के भाई, प्रेरित याकूब को प्राणदंड दिया। (प्रेरितों के काम १२:१, २) प्रत्यक्ष रूप से उसके स्थान पर एक प्रेरित के तौर से किसी दूसरे को लाने की कोई कोशिश नहीं की गयी, जैसा कि यहूदा के मामले में किया गया था। क्यों नहीं? बेशक इसलिए कि याकूब वफ़ादारी की अवस्था में मर गया, जो कि १२ प्रेरितों में से सबसे पहले मरनेवाला व्यक्ति था। दूसरी ओर, यहूदा एक दुष्ट पक्षत्यागी था और उसके बदले में किसी और को लाना ज़रूरी था ताकि आत्मिक इस्राएल की नींव के पत्थरों की संख्या फिर से १२ बनायी जा सकती थी।—इफिसियों २:२०; प्रकाशितवाक्य २१:१४.
१०. पहली-सदी का शासी वर्ग कब और कैसे बढ़ा दिया गया, और मसीह ने परमेश्वर के परिवार का नियंत्रण करने में उसका कैसे इस्तेमाल किया?
१० पहली-सदी के शासी वर्ग के प्रारंभिक सदस्य प्रेरित थे, ऐसे आदमी जो यीशु के साथ-साथ चले थे और जो उनकी मृत्यु और पनरुत्थान के गवाह रह चुके थे। (प्रेरितों के काम १:२१, २२) लेकिन यह परिस्थिति बदलने वाली थी। जैसे-जैसे साल गज़रते गए, अन्य मसीही आदमियों ने आध्यात्मिक रूप से महत्ता हासिल की और उन्हें यरूशलेम की मण्डली में प्राचीनों के तौर से नियुक्त किया गया। ज़्यादा से ज़्यादा सा.यु. वर्ष ४९ तक, शासी वर्ग को बढ़ाया जा चुका था, और अब इस में न सिर्फ़ बाक़ी प्रेरित शामिल थे, बल्कि यरूशलेम के अन्य प्राचीनों की कुछ संख्या भी शामिल थी। (प्रेरितों के काम १५:२) तो शासी वर्ग की रचना अनम्य रूप से निश्चित न थी, लेकिन परमेश्वर ने प्रत्यक्ष रूप से बातों को यूँ नियंत्रित किया कि यह उनके लोगों की परिस्थितियों के अनुकूल बनने के लिए बदल गया। कलीसिया के सक्रिय प्रमुख, मसीह ने इस बढ़ाए हुए शासी वर्ग को एक महत्त्वपूर्ण धर्ममत-संबंधी मामले को तय करने के लिए इस्तेमाल किया, कि क्या ग़ैर-यहूदी मसीहियों को ख़तना करके मूसा की व्यवस्था का पालन करना चाहिए या नहीं। शासी वर्ग ने एक पत्र लिखा जिस में उन्होंने अपना निर्णय समझाया और पालन करने के लिए आज्ञाएँ दीं।—प्रेरितों के काम १५:२३-२९.
गृह प्रबंधक के लिए हिसाब करने का समय
११. क्या भाइयों ने शासी वर्ग द्वारा दी प्रभावशाली अगुआई की क़दर की, और किस से पता चलता है कि यहोवा ने इस व्यवस्था को आशीर्वाद दिया?
११ वैयक्तिक रूप से और मण्डलियों के तौर से, प्रारंभिक मसीहियों ने शासी वर्ग द्वारा दी इस प्रभावशाली अगुआई की क़दर की। सूरियाई अन्ताकिया की मण्डली में शासी वर्ग से उस पत्र के पढ़े जाने के बाद, वे लोग उस प्रोत्साहन से अति आनन्दित हुए। जैसे-जैसे अन्य मण्डलियों को वह जानकारी मिली और उन्होंने उन विधियों को मानना शुरू किया, वे ‘विश्वास में स्थिर होते गए और गिनती में प्रति दिन बढ़ते गए।’ (प्रेरितों के काम १६:५) प्रकट रूप से, परमेश्वर ने इस व्यवस्था को आशीर्वाद दिया।—प्रेरितों के काम १५:३०, ३१.
१२, १३. यीशु ने अपने मुहरों और तोड़ों के दृष्टान्तों में कौनसी घटनाएँ पूर्वबतलायीं?
१२ पर हम इस महत्त्वपूर्ण मामले के एक और पहलू की ओर ध्यान दें। अपने मुहरों के दृष्टान्त में, यीशु ने अपनी तुलना एक कुलीन आदमी से की जो राजपद पाने के लिए दूर देश चला गया और फिर लौट आया। (लूका १९:११, १२) सा.यु. ३३ में उनके पुनरुत्थान के फलस्वरूप, यीशु मसीह को परमेश्वर के दाहिने हाथ पर सर्वोच्च पद दिया गया, जहाँ उन्हें उस वक्त तक बैठना था जब तक कि उनके शत्रु उनके पाँवों तले की चौकी नहीं कर दिए जाते।—प्रेरितों के काम २:३३-३५.
१३ एक समान दृष्टान्त, तोड़े के दृष्टान्त में, यीशु ने कहा कि बहुत दिनों के बाद, वह स्वामी अपने दासों से हिसाब लेने के लिए आया। उन दासों से, जो विश्वासयोग्य ठहरे, स्वामी ने कहा: “तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊँगा। अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हो।” लेकिन बेईमान दास के संबंध में, उसने कहा: “उस से वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा। और इस निकम्मे दास को बाहर के अन्धेरे में डाल दो।”—मत्ती २५:२१-२३, २९, ३०.
१४. यीशु ने अपने आत्मा से अभिषिक्त दासों से क्या अपेक्षा रखी?
१४ बहुत देर के बाद—लगभग १९ सदियाँ—मसीह को १९१४ में, ‘अन्य जातियों के नियत समय’ के आख़िर में, राजपद हासिल हुआ। (लूका २१:२४; न्यू.व.) उसके कुछ ही देर बाद, उन्होंने “आकर” अपने दास, आत्मा से अभिषिक्त मसीहियों से “लेखा” लिया। (मत्ती २५:१९) यीशु ने उनकी तरफ़ से, वैयक्तिक रूप से और सामूहिक रूप से क्या अपेक्षा रखी? नौकर का नियतकार्य जैसे पहली-सदी में था, वैसे ही जारी रहा। मसीह ने व्यक्तियों को तोड़े सौंपे थे—“हर एक को उस की सामर्थ के अनुसार।” (मत्ती २५:१५) यहाँ १ कुरिन्थियों ४:२ में दिया नियम लागू हो सकता है, जहाँ पर लिखा गया है: “भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।” तोड़ों को काम पर लगाने का मतलब था परमेश्वर के राजदूतों के तौर से वफ़ादारी से कार्य करना, शिष्य बनाना और उन्हें आध्यात्मिक सच्चाइयाँ देना।—२ कुरिन्थियों ५:२०.
वह “दास” और उसका शासी वर्ग जब अन्त का समय नज़दीक आया
१५. (अ) मसीह ने अपने सामूहिक गृह प्रबंधक से क्या अपेक्षा की? (ब) किस बात से सूचित होता है कि मसीह ने दास वर्ग से अपेक्षा की कि वे ऐसा यीशु के अपने परिवार का निरीक्षण करने हेतु आने से पहले करते रहें?
१५ यीशु ने अभिषिक्त मसीहियों से अपेक्षा की कि वे सामूहिक रूप से एक विश्वासयोग्य कारिन्दे के तौर से कार्य करते रहें तथा अपने परिचरों के समूह को “भोजन सामग्री का उचित परिमाण” देते रहें। (लूका १२:४२, न्यू.व.) लूका १२:४३ के अनुसार, मसीह ने कहा: “धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए!” इससे सूचित होता है कि अपने आत्मा से अभिषिक्त दासों से हिसाब करने के वास्ते, मसीह के आने से कुछ समय पहले से, वे परमेश्वर के परिवार, मसीही कलीसिया के सदस्यों को आध्यात्मिक भोजन दे रहे हुए होंगे। १९१४ में जब मसीह राज्य अधिकार पाकर लौट आए और १९१८ में परमेश्वर के घर का निरीक्षण करने लगे, तो उन्होंने ऐसा करते हुए किन्हें पाया?—मलाकी ३:१-४; लूका १९:१२; १ पतरस ४:१७.
१६. १९१८ में जब मसीह परमेश्वर के घर का निरीक्षण करने आए, तब उन्होंने ईसाईजगत् की गिरजाओं को सही समय पर आध्यात्मिक भोजन देते क्यों नहीं पाया?
१६ जैसे जैसे यहोवा के दाहिने हाथ के पास यीशु के इन्तेज़ार करने की लंबी अवधि ख़त्म होने को आयी, यह धीरे-धीरे ज़ाहिर हुआ कि १९१४ से पहले के समय में भी मसीह के नौकरों को कौन आध्यात्मिक खाद्य सामग्री दे रहा था। क्या आप सोचते हैं कि यह ईसाईजगत् की गिरजाएँ थीं? बिल्कुल नहीं, इसलिए कि वे राजनीति में गहरे रूप से उलझी हुई थीं। वे उपनिवेशीय फैलाव की स्वैच्छिक कठपुतलियाँ रह चुकी थीं और उन्होंने अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए एक दूसरे से बढ़कर होने की कोशिश की थी, और इस प्रकार उन्होंने राष्ट्रीयवाद को बढ़ावा दिया। इस से उन पर जल्द ही घोर हत्यारेपन आ गया, अर्थात्, जब उन्होंने पहले विश्व युद्ध में अन्तर्ग्रस्त राजनीतिक सरकारों को अपनी सक्रिय सहायता दी। आध्यात्मिक रूप से, उनका विश्वास आधुनिकतावाद से कमज़ोर हुआ था। एक धार्मिक संकट इसलिए उत्पन्न हुआ कि उनके कई पादरी उच्च समालोचना और क्रमविकासवाद के सहज शिकार बन गए। ईसाईजगत् के पादरी वर्ग से कोई आध्यात्मिक पोषण की अपेक्षा नहीं की जा सकती थी!
१७. मसीह ने कुछेक अभिषिक्त मसीहियों को क्यों ठुकरा दिया, और उस से उन पर क्या परिणाम हुआ?
१७ उसी तरह, उन अभिषिक्त मसीहियों की तरफ़ से कोई आध्यात्मिक भोजन नहीं आ रहा था, जो स्वामी के तोड़े को काम पर लगाने के बजाय अपने निजी उद्धार के बारे में ज़्यादा फ़िक्रमंद थे। वे “आलसी” निकले, स्वामी की संपत्ति की देख-रेख करने के लिए अयोग्य। इसलिए, उन्हें “बाहर के अँधेरे में” फेंक दिया गया, जहाँ ईसाईजगत् की गिरजाएँ अभी भी हैं।—मत्ती २५:२४-३०.
१८. स्वामी ने किसे अपने परिचरों के समूह को सही समय पर आध्यात्मिक भोजन देते हुए पाया, और इस बात को क्या प्रमाणित करता है?
१८ इसलिए, १९१८ में अपने दासों का निरीक्षण करने के लिए आते ही, स्वामी, यीशु मसीह ने किसे अपने परिचरों के समूह को सही समय पर भोजन सामग्री का उचित परिमाण देते हुए पाया? ख़ैर, उस वक्त तक, निश्छल सत्य खोजनेवालों को किसने छुड़ाई बलिदान, ईश्वरीय नाम, मसीह की मौजूदगी की अदृश्यता, और १९१४ के अभिप्राय की सही समझ दी थी? त्रियेक, मानव जीव की अमरता, और नरकाग्नि के झूठ किसने अनावृत किए थे? और किसने क्रमविकासवाद तथा भूतविद्या के ख़तरों के बारे में चेतावनी दी थी? तथ्य प्रमाणित करते हैं कि यह अभिषिक्त मसीहियों का वह समूह था जो ज़ायन्स वॉचटावर ॲन्ड हेरल्ड ऑफ क्राइस्टस् प्रेसेन्स नामक पत्रिका के प्रकाशकों से संबद्ध था, इस पत्रिका को अब द वॉचटावर अन्नाउँसिंग जेहोवाज़ किंगडम (प्रहरीदुर्ग, यहोवा के राज्य की घोषणा करता है) कहते हैं।
१९. १९१८ से पहले एक विश्वासयोग्य दास वर्ग किस तरह प्रकट हुआ था, तथा इसने किस साधन के ज़रिए आध्यात्मिक भोजन सामग्री वितरित की, और कब से?
१९ अपने नवम्बर १, १९४४, अंक में, द वॉचटावर ने बताया: “१९१८ में मंदिर में प्रभु के आने से चालीस साल पहले, यानी १८७८ में, निश्छल समर्पित मसीहियों का एक ऐसा वर्ग मौजूद था जो श्रेणीबद्ध तथा पादरीवर्ग संबंधी संघटनों से अलग हो चुका था और जो मसीहियत के अनुसार चलना चाहता था . . . उसके अगले साल, अर्थात्, जुलाई, १८७९ में, इस उद्देश्य से कि परमेश्वर ने मसीह के ज़रिए जो सच्चाइयाँ दी थीं, वे ‘सही समय पर भोजन’ के तौर से उनके सभी समर्पित बच्चों के परिवार को नियमित रूप से वितरित हों, यह पत्रिका, द वॉचटावर, प्रकाशित होने लगी।”
२०. (अ) आधुनिक शासी वर्ग किस तरह सामने आया? (ब) शासी वर्ग के सदस्य क्या कर रहे थे, और किस के मार्गदर्शन से?
२० आधुनिक शासी वर्ग के विकास के विषय में जानकारी देते हुए, द वॉचटावर के दिसम्बर १५, १९७१, अंक में बताया गया: “पाँच साल बाद [१८८४ में] ज़ायंस् वॉच टावर ट्रॅक्ट सोसाइटी संस्थापित की गयी और इसने उन इज़ारों निश्छल लोगों को आध्यात्मिक भोजन देने के लिए एक ‘साधन’ के रूप में काम किया जो परमेश्वर को जानने और उनका वचन समझने की कोशिश कर रहे थे . . . समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त, अभिषिक्त मसीही उस सोसाइटी के साथ, जिसका मुख्यालय पेन्सिल्वेनिया (यू.एस.ए) में था, मिल गए। वे चाहे अध्यक्ष समिति में थे या न थे, उन्होंने ‘विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास’ वर्ग के ख़ास काम के लिए खुद को पेश किया। उन्होंने दास वर्ग को भोजन देने और उन्हें नियंत्रित करने में मदद की, और इस प्रकार एक शासी वर्ग प्रगट हुआ। यह यहोवा के अदृश्य सक्रिय शक्ति या पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन से था। और मसीही कलीसिया के प्रमुख, यीशु मसीह, के निर्देशन से भी था।”
२१. (अ) मसीह ने किसे आध्यात्मिक भोजन वितरित करता हुआ पाया, और उन्होंने उन को किस तरह प्रतिदान दिया? (ब) विश्वासयोग्य दास और उसके शासी वर्ग के सामने क्या था?
२१ १९१८ में, जब यीशु मसीह ने उनके दास वर्ग होने का दावा करनेवालों का निरीक्षण किया, तब उन्होंने मसीहियों का एक अंतर्राष्ट्रीय समूह पाया, जो दोनों, अन्दर मण्डली में और बाहर प्रचार कार्य में, उपयोग में लाए जाने के लिए बाइबल सच्चाइयों को प्रकाशित कर रहा था। १९१९ में सचमुच वैसे ही हुआ, जैसा मसीह ने पूर्वबतलाया था: “धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम्हें सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।” (मत्ती २४:४६, ४७) ये सच्चे मसीही अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हुए। चूँकि उन्होंने खुद को “थोड़े में विश्वासयोग्य” दिखाया, स्वामी ने उन्हें “बहुत वस्तुओं का अधिकारी” नियुक्त किया। (मत्ती २५:२१) विश्वासयोग्य दास और उसका शासी वर्ग एक विस्तृत नियतकार्य के लिए तैयार, अपने स्थान पर था। हमें कितना आनन्दित होना चाहिए कि यह ऐसा था, इसलिए कि विश्वासयोग्य दास और उसके शासी वर्ग के एकनिष्ठ कार्य से वफ़ादार मसीही बहुत लाभ प्राप्त कर रहे हैं!
याद रखने के लिए मुख्य बातें
◻ परमेश्वर के परिवार के प्रमुख कौन हैं, और उन्होंने किस को अधिकार सौंप दिया है?
◻ मसीह ने दास वर्ग को कौनसा सामूहिक कार्य दिया?
◻ दास वर्ग के भीतर और कौनसा सामूहिक वर्ग था, और उसके विशेष कार्य क्या थे?
◻ जब मसीह परमेश्वर के परिवार का निरीक्षण करने आए, तब उनके सदस्यों को आध्यात्मिक भोजन कौन दे रहा था?
◻ एक आधुनिक शासी वर्ग किस तरह प्रगट हुआ?
[पेज 10 पर तसवीरें]
पहली-सदी के “दास” का एक शासी वर्ग था, जो प्रेरितों और यरूशलेम की मण्डली के प्राचीनों से बना हुआ था