यहोवा विश्वास और साहस प्रतिफलित करता है
“हमारा परमेश्वर जिनकी हम उपासना करते हैं, वह हमें बचाने की शक्ति रखता है। वरन, हे राजा, वह हमें उस धधकते हुए भट्ठे की आग से और तेरे हाथ से भी छुड़ाएगा।”—दानिय्येल ३:१७; न्यू.व.
१. पिछले लेख में कौनसे सबक़ को विशिष्ट किया गया, और घटनाओं की पुनःजाँच करना लाभदायक क्यों हो सकता है?
यहोवा परमेश्वर, विश्व सम्राट, ने अपनी सर्वश्रेष्ठता से संबंधित संसार के शासकों को महत्त्वपूर्ण सबक़ सिखाए हैं। पूर्वगामी लेख में, हम ने देखा कि यह किस तरह दानिय्येल की किताब के पहले छः अध्यायों में लेखबद्ध घटनाओं के विषय सच था। यही विवरण को अब पुनःजाँचा जा सकता है, यह देखने के लिए कि पौलुस के इन प्रेरित शब्दों के अनुसार, हम उन से क्या सीख सकते हैं: “जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गईं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें।”—रोमियों १५:४.
२, ३. राजा नबूकदनेस्सर द्वारा क़ैदी लिए गए लोगों में कौन शामिल थे, और उनके नामों के मतलब से हम कौनसे निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं?
२ यह सामान्य युग पूर्व सन् ६१७ में था, राजा यहोयाकीम का बेटा, यहोयाकीन, के अल्पकालिक शासनकाल के दौरान, कि राजा नबूकदनेस्सर ने सबसे उत्तम और सबसे बुद्धिमान यहूदी युवकों में से कुछेकों को बाबुल लाए जाने का आदेश दिया। इन में दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह शामिल थे।—दानिय्येल १:३, ४, ६.
३ उनके नामों के मतलब को आँकने से यह काफ़ी हद तक ज़ाहिर है कि उस वक्त यहूदा में प्रचलित बुरी परिस्थितियों के बावजूद भी, इन चार इब्रानी युवकों के धर्मभीरु माता-पिता थे। “दानिय्येल” का मतलब है “मेरा न्यायकर्ता परमेश्वर है।” हनन्याह के नाम का अर्थ है “यहोवा ने कृपा दिखायी है; यहोवा ने अनुग्रह दिखाया है।” संभव रूप से मीशाएल के नाम का अर्थ है “कौन परमेश्वर के समान है?” या “कौन परमेश्वर का है?” और अजर्याह के नाम का मतलब है “यहोवा ने मदद की है।” बेशक, उनके नामों से ही उन्हें एकमात्र सच्चे परमेश्वर के प्रति विश्वसनीय रहने के लिए प्रोत्साहन मिला। इन नामों की जगह, कसदियों ने इन चार इब्रानी युवकों का नाम बेलतशस्सर, शद्रक, मेशक, और अबेदनगो रखा। अवश्य, विदेशी शक्ति के गुलाम होने के नाते, उनके क़ैदकर्ता उनका उल्लेख करने में उन्हें किस नाम से बुलाते, इस विषय उन्हें कोई चयन न था।—दानिय्येल १:७.
विश्वास और साहस परीक्षण पर
४. क्या सूचित करता है कि यहोवा ने चाहा कि अपने लोग शुद्ध और अशुद्ध पशुओं संबंधी उसके नियमों को गंभीरतापूर्वक लें?
४ चार इब्रानियों के माता-पिता ने उनको दिए नामों से उन्हें न केवल ज़िंदगी में एक अच्छी शुरुआत दी, पर उन्होंने मूसा की व्यवस्था के अनुसार, उसके खुराक नियमों समेत, उनका कड़ी रीति से पालन-पोषण किया होगा। यहोवा परमेश्वर ने खुद इन बातों को इतना महत्त्वपूर्ण समझा कि अनेक समान निषेधाज्ञाओं को बताने के बाद उन्होंने कहा: “अपने आप को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”—लैव्यव्यवस्था ११:४४, ४५.
५. चार इब्रानी युवकों का बढ़िया पालन-पोषण किस तरह परीक्षित किया गया?
५ इन चार इब्रानी युवकों का बढ़िया पालन-पोषण जल्द ही परीक्षित किया गया। यह कैसे? इसलिए कि उन्हें ‘आज्ञा दी गयी कि राजा के स्वादिष्ट भोजन और पीने के दाखमधु में से उन्हें प्रतिदिन खाने-पीने को दिया जाता।’ (दानिय्येल १:५) वे जानते थे कि मूसा की व्यवस्था में निषिद्ध चीज़ों में ऐसे खाद्य पदार्थ थे जैसे सूअर, ख़रगोश, सीप, और ईल मछली। बाबेली राजदरबार में व्यवस्था द्वारा अनुमत गोश्त भी संदेहास्पद थे, चूँकि यह जानने का कोई तरीक़ा न था कि उन में से उचित रीति से रक्त निकाला गया था या नहीं। इसके अतिरिक्त, यह बहुत संभव था कि ऐसे गोश्त मूर्तिपूजक रीति-रिवाज़ों से अपवित्र किए गए थे।—लैव्यव्यवस्था ३:१६, १७.
६. चार इब्रानियों ने परीक्षा के प्रति किस तरह प्रतिक्रिया दिखायी?
६ चार इब्रानी क्या कर सकते थे? हम पढ़ते हैं कि दानिय्येल ने, और बेशक बाक़ी के तीनों ने भी, अपने मन में ठान लिया कि वह खुद को ऐसे भोजन से अपवित्र न करेगा। इसलिए, उसने राजा के स्वादिष्ट भोजन के बजाय सादे साग-सब्ज़ी की और उसके दाखमधु के बजाय पानी की “बिनती की।” यह बात कि कौनसे खाने का ज़ायक़ा ज़्यादा अच्छा था, उनके मन ही में न आयी। इस विवाद-विषय पर ज़ोर देने के लिए निश्चय ही विश्वास और साहस की ज़रूरत पड़ी। ख़ैर, चूँकि यहोवा इन चार युवकों में दिलचस्पी रखता था, उसने इंतज़ाम किया कि खोजों का प्रधान दानिय्येल के प्रति कृपाभावपूर्ण विचार रखता। परंतु, यह अधिकारी दानिय्येल की बिनती स्वीकार करने के लिए भयभीत था, इस डर से कि ऐसा ख़ुराक दानिय्येल के स्वास्थ्य पर कैसा परिणाम करता। तो दानिय्येल ने माँग की कि उन्हें दस दिन तक यह ख़ुराक आज़माने की इजाज़त दी जाए। उसे दृढ़ विश्वास था कि परमेश्वर की व्यवस्था का आज्ञापालन करना न केवल उसे एक अच्छा अंतःकरण देगा, पर स्वास्थता के तौर से भी लाभप्रद साबित होगा। उनके इस स्थिति के परिणामस्वरूप, चार इब्रानियों को बेशक काफ़ी खिल्ली सहनी पड़ी।—दानिय्येल १:८-१४; यशायाह ४८:१७, १८.
७. अपने साहसी प्रतिरोध के लिए वे इब्रानी युवक किस तरह प्रतिफलित किए गए?
७ अपने भोजन के संबंध में एक विवाद-विषय बनाने के लिए चार इब्रानियों की ओर से विश्वास और साहस ज़रूरी हुए थे। पर ऐसा करने के लिए उन्हें कितना प्रतिफलित किया गया, क्योंकि दस दिन के ख़त्म होने पर, वे दूसरों से ज़्यादा सुरूप और स्वास्थ्यकर दिखे! यहोवा उन्हें ज्ञान, अंतर्दृष्टि, और बुद्धि दे रहा था, ताकि जब वे अपने तीन-वर्ष की प्रशिक्षण अवधि की समाप्ति पर राजा के सामने पेश हुए, तब उसने पाया कि वे “राज्य भर के सब ज्योतिषियों और तान्त्रियों से दसगुणे निपुण” थे।—दानिय्येल १:२०.
८. इस में आज यहोवा के सेवकों के लिए क्या सबक़ है?
८ इस में आज यहोवा परमेश्वर के सभी सेवकों के लिए एक सबक़ है। वे इब्रानी युवक शायद यह तर्क कर सके होंगे कि मूसा की व्यवस्था के ख़ुराक पाबंदी इतने महत्त्वपूर्ण न थे, कम से कम दस नियम या बलिदान या वार्षिक उत्सवों की तुलना में तो नहीं। पर नहीं, वफ़ादार इब्रानी परमेश्वर की व्यवस्था के सभी अंगों के अनुसार चलने के विषय चिंतित थे। यह उस सिद्धांत की याद दिलाती है जो यीशु ने बताया, जैसा कि लूका १६:१० में रिकार्ड किया गया: “जो थोड़े से थोड़े में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य है, और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है।” (न्यू.व.)—तुलना मत्ती २३:२३ से करें।
९. आज कुछेक गवाहों ने समान साहस किस तरह प्रदर्शित किया है?
९ कई बार यहोवा के गवाह समान विश्वास और साहस प्रदर्शित करते हैं, जैसा कि जब ज़िला सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए अपने मालिकों से छुट्टी माँगने का सवाल उठता है। और बार-बार, उनके विषय में एक अपवाद किया जाता है। पायनियर वर्ग में प्रवेश करने या सहायक पायनियर बनने की इच्छा रखनेवाले गवाहों ने अंश-कालिक नौकरी के लिए अपनी इच्छा का अनुरोध किया है और वारंवार उन्हें यह विशेषाधिकार प्रदान किया गया है।
१०. इस सब में गवाह माता-पिताओं के लिए कौनसा सबक़ है?
१० आज के धर्मभीरु माता-पिता चार इब्रानी युवकों के प्रतीयमान प्रशिक्षण से कितना बढ़िया सबक़ सीख सकते हैं! जब मसीही माता-पिता अपने बच्चों के आत्मिक हित वास्तव में हृदय में बनाए रखते हैं, तब वे इन्हें अपने खुद के जीवन में पहले स्थान पर रखेंगे, जो कि मत्ती ६:३३ के अनुसार है। तभी वे उम्मीद कर सकते हैं कि उनके बच्चे जन्म-दिन, या धार्मिक त्योहार के दिन मनाने या अन्य रीति से शास्त्रीय सिद्धांत भंग करने के लिए समवयस्क और शिक्षकों के प्रलोभन और दबावों का प्रतिरोध कर सकेंगे। इस से ये धमेभीरु माता-पिता नीतिवचन २२:६ को सत्य साबित करते हैं।
नबूकदनेस्सर के सपनों का निडरता से अर्थ प्रदर्शन देना
११. हम आज दानिय्येल और उसके तीन दोस्तों के उदाहरणों का अनुकरण किस तरह कर सकते हैं?
११ दानिय्येल का दूसरा अध्याय हमें विश्वास और साहस का एक और उदाहरण देता है। जब दानिय्येल ने राजा का आदेश सुना, कि बाबुल के सभी ज्ञानी इसलिए मार दिए जाएँ कि वे उसे उसका सपना और उस सपने का मतलब नहीं बता सके, क्या दानिय्येल और उसके तीन साथी डर गए? क़तई नहीं! बल्कि, अत्यंत विश्वास से, कि यहोवा उसे वह जानकारी देगा जो राजा चाहता था, दानिय्येल ने उस नरेश के सामने पेश होकर जवाब देने के लिए कुछ समय की माँग की। यह अनुरोध स्वीकार की गयी। फिर दानिय्येल और उसके तीन दोस्तों ने इस बात को सच्चे और गंभीर प्रार्थना का विषय बनाया। यहोवा ने आवश्यक जानकारी देकर उनका विश्वास प्रतिफलित किया। उस पर, दानिय्येल ने यहोवा से शुक्रगुज़ारी की एक हार्दिक प्रार्थना की। (दानिय्येल २:२३) और दानिय्येल का अध्याय ४ के सपने का अर्थ प्रदर्शन देने में यह आवश्यक हुआ कि वह राजा नबूकदनेस्सर को बताए कि वह जंगली जानवरों के साथ, एक पशु के जैसे जीकर सात वर्ष बीताता। इस से उस तरह का विश्वास और साहस आवश्यक हुआ जो आज शैतान के संसार के विरुद्ध परमेश्वर के बदले का कड़ा संदेश घोषित करने में उसके लोगों को दिखाना पड़ता है।
‘आग की ज्वाला को ठंड़ा करना’
१२, १३. दानिय्येल के अध्याय ३ में दानिय्येल के तीन दोस्तों के सम्मुख कौनसी परीक्षा के बारे में बताया गया है?
१२ दानिय्येल अध्याय ३ बाइबल वृत्तांत का एक सबसे विशिष्ट उदाहरण देता है, जो दिखाता है कि कैसे यहोवा ने तीन इब्रानी सेवकों की ओर से विश्वास और साहस प्रतिफलित किया। इस दृश्य की कल्पना करें। बाबुल के सभी बड़े-बड़ लोग, दूरा के मैदान में एकत्रित हुए हैं। उनके सामने एक सोने की मूर्ति खड़ी है जो कुछ २७ मीटर ऊँची और २.७ मीटर चौड़ी है। उनकी भावनाओं को आकृष्ट करने के लिए, राजा एक वाद्यवृंद को पास ही खड़ा कराता है। संगीत के सुर सुनाई देने पर, एकत्रित लोगों को ‘राजा नबूकदनेस्सर की खड़ी कराई हुई सोने की मूर्ति के सामने गिरकर दण्डवत् करना होगा। और जो कोई गिरकर दण्डवत् नहीं करेगा, उसे उसी क्षण धधकते भट्ठे में फेंका जाएगा।’—दानिय्येल ३:५, ६.
१३ इस पर कोई शक नहीं: उस आदेश का पालन करना इंकार करने के लिए बड़ा विश्वास और साहस आवश्यक हुआ। लेकिन चूँकि ‘थोड़े से थोड़े में विश्वासयोग्य’ रहे थे, वे ‘बहुत में भी विश्वासयोग्य’ होने के लिए तैयार थे। यह वास्तविकता कि उनका प्रतिरोध दूसरे यहूदियों को शायद ख़तरे में डालता, मुद्दे से परे थी। वे झुककर मूर्ति की पूजा नहीं करते। उनके स्पष्ट इंकार पर उनके कुछेक ईर्ष्यालु साथियों ने ग़ौर किया, और इन्होंने राजा को यह बात बताने में ज़रा भी देर नहीं की।
१४. नबूकदनेस्सर ने उनके झुक जाने के इंकार के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखायी, और उन्होंने उसकी अंतिम चेतावनी का किस तरह जवाब दिया?
१४ “रोष और जलजलाहट” में आकर, नबूकदनेस्सर ने आदेश दिया कि तीन इब्रानी उसके पास लाए जाएँ। उसका सवाल कि “क्या जान बूझकर ऐसा करते हो?” दिखाता है कि यह बात उसके लिए अबोध्य थी कि वे झुककर सोने की मूर्ति की पूजा करने के लिए इंकार करते। वह उन्हें एक और मौक़ा देने के लिए तैयार था, लेकिन अगर वे फिर इंकार करते, तो उन्हें धधकते हुए भट्ठे में फेंका जाता। “फिर,” बाबुल के अहंकारी नरेश ने कहा, “ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके?” यहोवा पर भरोसा रखकर सच्चे साहस से, तीन इब्रानियों ने राजा को आदरपूर्वक जवाब दिया: “इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता। अगर ऐसा होना है, तो हमारा परमेश्वर जिसकी हम उपासना करते हैं, वह हमें बचाने की शक्ति रखता है। वरन, हे राजा, वह हमें उस धधकते हुए भट्ठे की आग से . . . , छुड़ाएगा। परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा, तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे।”—दानिय्येल ३:१३-१८.
१५. नबूकदनेस्सर ने कौनसी कार्रवाई की?
१५ अगर पहले नबूकदनेस्सर गुस्से में था, तो अब वह आग बबूला हो गया, इस लिए कि हम पढ़ते हैं कि “उसके चेहरे का रंग” तीन इब्रानियों “की ओर बदल गया।” (दानिय्येल ३:१९) उसके रोष का सूचक उसका यह आदेश था कि भट्ठे को सामान्य से सात गुना ज़्यादा गर्म करें। फिर उसके सेना के कुछ बलवन्त आदमियों ने तीन इब्रानियों को लेकर उन्हें धधकते भट्ठे में फेंक दिया। शोले इतने तेज़ थे कि इन से वे आदमी जलकर राख हुए जिन्होंने यह कार्य पूरा किया।
१६. तीन इब्रानियों का विश्वास किस तरह प्रतिफलित किया गया?
१६ पर राजा को कितना अचरज हुआ जब उसने सिर्फ तीन नहीं बल्कि चार आदमियों को, पूर्ण रूप से सकुशल, आग के बीच चलते हुए देखा! जब राजा ने तीन इब्रानियों को बाहर आने के लिए बुला भेजा, उसने पाया कि उनके सिर का एक भी बाल झुलस नहीं गया था, और धुएँ की गंध उनके वस्त्रों पर भी न थी। यहोवा ने उनके विश्वास और साहस को कितनी अत्यधिक मात्रा में प्रतिफलित किया था! बेशक पौलुस के मन में उन्हीं का उदाहरण था जब उसने ‘गवाहों के ऐसे बड़े बादल’ में उनको नामांकित किया जिन्होंने “आग की ज्वाला को ठंडा किया।” (इब्रानियों ११:३४) तब से यहोवा के सभी सेवकों के लिए वे कितना बढ़िया उदाहरण रहे हैं!
१७. हमारे पास आज कौनसे समान बढ़िया उदाहरण हैं?
१७ आज, यहोवा के सेवक वास्तविक धधकते हुए भट्ठे के ख़तरे के सम्मुख नहीं हैं। लेकिन बहुत सारों की खराई कड़ी रीति से परीक्षित हुई है जब राष्ट्रीय चिह्नों को श्रद्धास्पद सम्मान दिखाने का सवाल उठता है। दूसरों की वफ़ादारी परीक्षित हुई है जब राजनीतिक पार्टी कार्ड ख़रीदने या सेनाओं में भर्ती होने का सवाल पैदा होता है। यहोवा ने ऐसे सभी व्यक्तियों को सँभाला है, उन्हें इस तरह समर्थ बनाकर कि वे अपनी खराई के प्रति चुनौती से सफलतापूर्वक निपटें और इस प्रकार शैतान को झूठा और यहोवा को सच्चा परमेश्वर साबित करें।
विश्वास और साहस का एक और उदाहरण
१८. जैसे दानिय्येल अध्याय ५, आयत ३, ४ में लेखबद्ध है, यहूदियों के परमेश्वर, यहोवा के प्रति बेलशस्सर ने किस तरह अवहेलना दिखायी?
१८ विश्वास और साहस का एक और उदाहरण दानिय्येल की किताब, अध्याय ५ में लेखबद्ध है। बेलशस्सर, बाबुल का राजा, अपने एक हज़ार प्रधानों, रानियों और रखेलियों समेत एक शानदार, अपवित्रकारी जेवनार का उपभोग कर रहा था। अचानक, दीवार पर एक विचित्र लिखाई प्रकट हुई। इस से राजा का साहस इतना ज़्यादा छूट गया कि उसके कूल्हे के जोड़ ढीले हो गए और काँपते काँपते उसके घुटने एक दूसरे से लगने लगे। फिर से, सच्चे परमेश्वर के सेवक, दानिय्येल को अर्थ प्रदर्शन देने के लिए बुलाया गया इसलिए कि बाबुल के सभी ज्ञानी हतप्रभ हो गए थे।
१९. जब दानिय्येल ने दीवार पर की लिखाई का अर्थ प्रदर्शन दिया, तब कौनसी बात विशिष्ट थी?
१९ वहाँ उस शानदार और विरोधी परिवेश में बिल्कुल अकेला खड़ा रहना दानिय्येल को आतंकित नहीं किया, न उसे अपने संदेश की प्रभाविता कम करने या विवाद-विषय को भूल जाने का कारण बना। संतुलित और शांत, स्पष्ट और गरिमा-युक्त वाणी के साथ, उसने अपने परमेश्वर के बारे में एक गवाही दी। लिखाई का सिर्फ अर्थ प्रर्दशन देकर असंतुष्ट होते हुए, दानिय्येल ने राजा को याद दिलाया कि यहोवा परमेश्वर ने उसके दादा का घमंड इस तरीक़े से तोड़ दिया था, कि जब तक उसने नहीं माना कि परमप्रधान परमेश्वर ही मानवजाति के राज्य में शासक है, तब तक उसे एक जंगली जानवर के जैसे जीना पड़ा। ‘हालाँकि तुम ये सब जानते थे,’ दानिय्येल ने बेलशस्सर से कहा, ‘तोभी तुम ने अपने मन को नम्र नहीं किया, लेकिन यहोवा के मंदिर के पात्रों को अपवित्र किया और सोने, चाँदी, तांबे, लोहे, काठ और पत्थर के देवताओं की प्रशंसा की, जो न देखते, न सुनते और न कुछ जानते हैं। लेकिन परमेश्वर, जिसके वश में तेरा सब चलना-फिरना है, उसका सन्मान तुम ने नहीं किया। इसलिए, उस से यह आदेश जारी हुआ है। तुम तराजू में तौले जाकर हलका पाए गए हो, और तुम्हारा राज्य बाँटकर मादियों और फ़ारसियों को दिया गया है।’ जी हाँ, फिर से दानिय्येल ने परमेश्वर के आज के सेवकों के लिए विश्वास और साहस में एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया।—दानिय्येल ५:२२-२८.
२०. दारा के शासनकाल में, दानिय्येल ने बड़े विश्वास का और कौनसा उदाहरण प्रस्तुत किया?
२० अब दानिय्येल अध्याय ६ तक बढ़कर, हम विश्वास और साहस का एक और बढ़िया उदाहरण पाते हैं। अब राजा दारा शासक था और उसने दानिय्येल को राज्य के तीन सबसे प्रमुख शासकों में से एक शासक बना दिया। अन्य लोग, जो दानिय्येल से ईर्ष्या करते थे, उन्होंने नरेश को एक ऐसा अधिनियम बनाने के लिए राज़ी कराया कि ३० दिन तक कोई भी व्यक्ति राजा के अलावा किसी से निवेदन नहीं कर सकता था। उन्होंने समझ लिया कि यही दानिय्येल के विरुद्ध हीला-हवाला प्राप्त करने का एकमात्र तरीक़ा था। उसने अधिनियम की उपेक्षा की और अपने छत वाले कमरे में अपनी खिड़की खुली रखकर, तथा यरूशलेम को मुख करके, प्रार्थना करना जारी रखा। राजा के आदेश का उल्लंघन करने का अपराधी पाया जाकर, नियम द्वारा नियत दंड के अनुसार दानिय्येल को सिंहों के गड्ढे में डाला गया। एक बार फिर परमेश्वर ने दानिय्येल को उसके विश्वास और साहस के लिए प्रतिफलित किया। कैसे? जैसे इब्रानियों ११:३३ कहता है, यहोवा ने “सिंहों के मुँह बंद किए।”
२१. दानिय्येल की किताब के पहले छः अध्यायों में लेखबद्ध विश्वास और साहस के बढ़िया उदाहरणों का विचार करके, हमारा दृढ़ संकल्प क्या होना चाहिए?
२१ दानिय्येल अध्याय १-६ कितने ही विश्वास दृढ करनेवाली घटनाएँ बताते हैं! यहोवा परमेश्वर ने उन लोगों को कितनी अत्यधिक मात्रा में प्रतिफलित किया, जिन्होंने विश्वास और साहस दिखाया! एक तरफ़, यह उनके उन्नत किए जाने से और दूसरी ओर, उनके चमत्कारिक मुक्ति अनुभव करने से घटित हुआ। सचमुच, जब हम परीक्षण के सम्मुख हों, तब हम इन विश्वसनीय गवाहों के अनुभवों से सांत्वना और आशा प्राप्त कर सकते हैं। अजी, इसी कारण से ये बातें रिकार्ड की गईं! हम, इसलिए, ऐसे विश्वास और साहस के अनुकरणकर्ता होने का दृढ़ संकल्प करें।—रामियों १५:४; इब्रानियों ६:१२.
समीक्षा में प्रश्न
◻ चार इब्रानी युवकों के नाम उनके पालन-पोषण के बारे में क्या सुझाता है?
◻ इब्रानियों का भोजन संबंधी परीक्षण के बराबर होने में हमारे लिए क्या सबक़ है?
◻ तीन इब्रानियों के जैसे आज यहोवा के सेवकों की खराई किस तरह से परीक्षित हुई है?
◻ बेलशस्सर को गवाही देने में दानिय्येल ने विश्वास और साहस किस तरह दिखाया?
[पेज 22 पर तसवीरें]
दानिय्येल और उसके साथियों ने ‘नहीं’ कहना सीखा