44 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।+ तुम्हें शुद्ध और पवित्र बने रहना है+ क्योंकि मैं पवित्र हूँ।+ तुम धरती के ऐसे किसी भी जीव की वजह से खुद को अशुद्ध मत करना जो झुंड में रहता है।
15 मगर उस पवित्र परमेश्वर की तरह, जिसने तुम्हें बुलाया है, तुम भी अपना पूरा चालचलन पवित्र बनाए रखो+16 क्योंकि लिखा है: “तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”+
8 इन चार जीवित प्राणियों में से हरेक के छ:-छ: पंख थे। इनके चारों तरफ और अंदर की तरफ आँखें-ही-आँखें थीं।+ और वे बिना रुके रात-दिन कहते हैं, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा* पवित्र, पवित्र, पवित्र है!+ वह परमेश्वर, जो था, जो है और जो आ रहा है।”+