शुक्रवार, 14 नवंबर
तुम्हारा सजना-सँवरना ऊपरी न हो।—1 पत. 3:3.
दूसरों का लिहाज़ करने से हम उनकी सोच और फैसलों का आदर करेंगे। उदाहरण के लिए, कुछ बहनों को मेकअप करना अच्छा लगता है, पर कुछ को नहीं। कुछ मसीही एक हद में रहकर शराब पीते हैं, पर कुछ इसे छूते तक नहीं। और हम सब चाहते हैं कि हमारी सेहत अच्छी रहे। लेकिन जब इलाज के तरीकों की बात आती है, तो हर मसीही की सोच अलग-अलग होती है। अगर हम यह सोचें कि हम जो मानते हैं वही सही है और अपनी राय मंडली में दूसरों पर थोपने की कोशिश करें, तो इससे लोगों को ठोकर लग सकती है और मंडली में फूट पड़ सकती है। (1 कुरिं. 8:9; 10:23, 24) उदाहरण के लिए, हमें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए, इस बारे में यहोवा ने बहुत सारे नियम नहीं बनाए, बल्कि उसने कुछ सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर हम सही फैसले कर सकते हैं। इस मामले में कोई फैसला करते वक्त हमें ‘समझदारी से काम लेना चाहिए,’ दूसरों का लिहाज़ करना चाहिए और ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो सलीकेदार हों और परमेश्वर के सेवकों को शोभा देते हों। (1 तीमु. 2:9, 10, फु.) इसलिए हम ऐसे कपड़े नहीं पहनते, जिनसे बेवजह लोगों का ध्यान हम पर जाए। यहोवा ने बाइबल में हमारे लिए सिद्धांत लिखवाए हैं, इस वजह से प्राचीन ध्यान रखते हैं कि वे कपड़ों और बाल बनाने के मामले में अपनी तरफ से कोई नियम ना बनाएँ। प्र23.07 पेज 23-24 पै 13-14
शनिवार, 15 नवंबर
मेरी बात ध्यान से सुनो! बढ़िया खाना खाओ, तब तुम चिकना-चिकना खाना खाकर खुश हो जाओगे।—यशा. 55:2.
यहोवा हमें समझाना चाहता है कि एक अच्छा भविष्य पाने के लिए हमें क्या करना होगा। जो लोग बक-बक करनेवाली “मूर्ख औरत” का बुलावा कबूल करते हैं, वे सिर्फ छिपकर अनैतिक कामों का मज़ा लेना चाहते हैं। उन्हें एहसास ही नहीं है कि उनका भविष्य “कब्र की गहराइयों में” है। (नीति. 9:13, 17, 18) मगर जो लोग “सच्ची बुद्धि” का बुलावा कबूल करते हैं, उनका भविष्य कितना अच्छा होगा। (नीति. 9:1) आज हम सीख रहे हैं कि हमें उन बातों से प्यार करना है, जिनसे यहोवा प्यार करता है और उन बातों से नफरत करनी है, जिनसे वह नफरत करता है। (भज. 97:10) हम दूसरों को भी “सच्ची बुद्धि” की पुकार सुनने का बुलावा देते हैं। एक तरह से हम ‘शहर की ऊँची जगहों से यह पुकार रहे हैं, “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।”’ इससे हमें बहुत खुशी मिलती है। जो कोई बुद्धि की पुकार सुनता है, उसे ना सिर्फ आज फायदा होता है बल्कि आगे चलकर भी फायदे होंगे। वह हमेशा “जीवित” रहेगा और ‘समझ की राह पर सीधा चलता जाएगा।’—नीति. 9:3, 4, 6. प्र23.06 पेज 24 पै 17-18
रविवार, 16 नवंबर
क्रोध करने में धीमा इंसान, वीर योद्धा से अच्छा है और अपने गुस्से पर काबू रखनेवाला, शहर जीतनेवाले से।—नीति. 16:32.
आप जो मानते हैं, उस बारे में जब आपके स्कूल में या काम की जगह पर कोई सवाल करता है, तो आपको कैसा लगता है? क्या आप घबरा जाते हैं? हममें से ज़्यादातर शायद घबरा जाएँ। लेकिन इस तरह जब कोई सवाल करता है, तो हमें सामनेवाले की सोच पता चल सकती है या यह कि वह क्या मानता है। और इससे शायद हमें उसे गवाही देने का भी मौका मिले। लेकिन कई बार एक व्यक्ति शायद हमसे इसलिए सवाल करे, क्योंकि वह हमसे सहमत नहीं है या हमसे बहस करना चाहता है। अगर ऐसा है, तो हमें हैरान नहीं होना चाहिए। वह इसलिए कि हम जो मानते हैं उस बारे में कई लोगों को पूरी जानकारी नहीं होती या शायद उन्हें गलत जानकारी दी गयी हो। (प्रेषि. 28:22) इसके अलावा हम “आखिरी दिनों” में जी रहे हैं, ऐसे वक्त में जब ज़्यादातर लोग ‘किसी भी बात पर राज़ी नहीं’ होते और कुछ तो “खूँखार” हो गए हैं। (2 तीमु. 3:1, 3) आप शायद सोचें, ‘मैं जो मानता हूँ, उस बारे में अगर कोई मुझसे बहस करने की कोशिश करे, तो मैं कैसे शांत रह सकता हूँ और उसे प्यार से जवाब दे सकता हूँ?’ ऐसे में कोमल होने से आपको मदद मिल सकती है। जो व्यक्ति कोमल स्वभाव का होता है, वह जल्दी बुरा नहीं मानता। जब उससे कोई ऐसा कुछ पूछता है कि उसकी समझ में नहीं आता कैसे जवाब दे या उसे गुस्सा दिलाता है, तो वह खुद पर काबू रखता है। प्र23.09 पेज 14 पै 1-2