10 जैसे आसमान से बारिश और बर्फ गिरती है और यूँ ही नहीं लौट जाती,
बल्कि धरती को सींचती है और फसल उपजाती है,
जिससे बोनेवाले को बीज और खानेवाले को रोटी मिलती है,
11 वैसे ही मेरे मुँह से निकला वचन भी होगा।+
वह बिना पूरा हुए मेरे पास नहीं लौटेगा,+
बल्कि हर हाल में मेरी मरज़ी पूरी करेगा+
और जिस काम के लिए मैंने उसे भेजा है उसे ज़रूर अंजाम देगा।