2 अगर कोई आदमी यहोवा के लिए एक मन्नत मानता है+ या शपथ खाकर+ किसी चीज़ का त्याग करने की मन्नत मानता है और इस तरह खुद पर बंदिश लगाता है, तो उसे अपने वचन से नहीं मुकरना चाहिए।+ उसने जो भी मन्नत मानी है उसे पूरा करना होगा।+
4 जब-जब तू परमेश्वर से मन्नत माने, उसे पूरा करने में देर न करना+ क्योंकि वह मूर्ख से खुश नहीं होता, जो अपनी मन्नत पूरी नहीं करता।+ तू जो भी मन्नत माने उसे पूरा करना।+