17 जब मैंने उसे देखा तो मैं उसके पाँवों पर मुरदा-सा गिर पड़ा।
तब उसने अपना दायाँ हाथ मुझ पर रखकर कहा, “डर मत। मैं ही पहला+ और आखिरी हूँ+ 18 और मैं ही जीवित हूँ।+ मैं मर गया था,+ मगर देख! अब मैं हमेशा-हमेशा के लिए जीता हूँ+ और मेरे पास मौत और कब्र की चाबियाँ हैं।+