2 अगर कोई आदमी यहोवा के लिए एक मन्नत मानता है+ या शपथ खाकर+ किसी चीज़ का त्याग करने की मन्नत मानता है और इस तरह खुद पर बंदिश लगाता है, तो उसे अपने वचन से नहीं मुकरना चाहिए।+ उसने जो भी मन्नत मानी है उसे पूरा करना होगा।+
24 मगर उस दिन इसराएली आदमियों की हालत पस्त हो चुकी थी क्योंकि शाऊल ने उन्हें यह शपथ धरायी थी, “अगर किसी आदमी ने शाम से पहले, जब तक मैं अपने दुश्मनों से बदला नहीं ले लेता, एक निवाला भी खाया तो वह शापित हो!” इसलिए किसी भी आदमी ने कुछ नहीं खाया था।+