43 कितनी ही बार उसने उन्हें छुड़ाया था,+
मगर हर बार वे उससे बगावत करते, उसकी आज्ञा तोड़ते,+
उनके गुनाहों की वजह से उन्हें नीचा किया जाता।+
44 मगर वह उन्हें संकट में पड़ा देखता+
और उनकी मदद की पुकार सुनता।+
45 उनकी खातिर वह अपना करार याद करता,
उसका महान अटल प्यार उसे उभारता और वह उन पर तरस खाता।+