25 इसलिए जो उसके ज़रिए परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरी तरह उद्धार करने के काबिल है। क्योंकि वह उनकी खातिर परमेश्वर से बिनती करने के लिए हमेशा ज़िंदा रहता है।+
24 जब उसे काठ* पर ठोंक दिया गया था+ तो उसने हमारे पापों को अपने शरीर पर उठा लिया+ ताकि हम अपने पापों से आज़ाद हों और नेक काम करने के लिए जीएँ। और “उसके घाव से तुम चंगे हुए।”+