20 जो चट्टानी ज़मीन पर बोया गया था, यह वह इंसान है जो वचन को सुनते ही उसे खुशी-खुशी स्वीकार करता है।+21 मगर उसमें जड़ नहीं होती इसलिए वह थोड़े वक्त के लिए रहता है और जब वचन की वजह से उसे मुसीबतें या ज़ुल्म सहने पड़ते हैं, तो वह फौरन वचन पर विश्वास करना छोड़ देता है।*
13 जो बीज चट्टानी ज़मीन पर गिरे, वे ऐसे लोग हैं जो वचन को सुनकर इसे खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं, मगर उनमें जड़ नहीं होती। वे थोड़े वक्त के लिए यकीन करते हैं, मगर परीक्षा के वक्त गिर जाते हैं।+