6 पौलुस ने यह जानते हुए कि उनमें से एक दल सदूकियों का है और दूसरा फरीसियों का, महासभा में ज़ोर से पुकारकर कहा, “भाइयो, मैं एक फरीसी हूँ+ और फरीसियों का बेटा हूँ। मरे हुओं के ज़िंदा होने की आशा को लेकर मुझ पर मुकदमा चलाया जा रहा है।”
4 वाकई, मैंने जवानी से अपने जाति-भाइयों के बीच और यरूशलेम में रहते वक्त जैसी ज़िंदगी बितायी है, उसके बारे में उन सभी यहूदियों को मालूम है+5 जो मुझे पहले से जानते हैं। अगर वे चाहें तो इस बात की गवाही दे सकते हैं कि मैं अपने धर्म के सबसे कट्टर पंथ को मानता था+ और एक फरीसी की ज़िंदगी जीता था।+