निर्गमन
28 तू इसराएलियों में से अपने भाई हारून+ को और उसके बेटे+ नादाब, अबीहू,+ एलिआज़र और ईतामार+ को मेरे सामने हाज़िर होने का आदेश देना ताकि वे याजकों के नाते मेरी सेवा करें।+ 2 तू अपने भाई हारून के लिए ऐसी पवित्र पोशाक बनाना जो उसे गरिमा दे और उसकी शोभा बढ़ाए।+ 3 यह पोशाक तैयार करने के लिए तू उन सब कुशल कारीगरों* से बात करना जिन्हें मैंने भरपूर बुद्धि दी है।+ वे हारून के लिए ऐसी पोशाक बनाएँगे जिससे पहचान हो कि उसे याजक के नाते मेरी सेवा करने के लिए पवित्र ठहराया गया है।
4 कारीगर ये सब बनाएँगे: एक सीनाबंद,+ एक एपोद,+ बिन आस्तीन का एक बागा,+ एक चारखानेदार कुरता, एक पगड़ी+ और एक कमर-पट्टी।+ वे तेरे भाई हारून और उसके वंशजों के लिए यह पवित्र पोशाक बनाएँ ताकि वे याजकों के नाते मेरी सेवा करें। 5 कुशल कारीगर इसे सोने, नीले धागे, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागे और बढ़िया मलमल से बनाएँगे।
6 वे एपोद को सोने, नीले धागे, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागे और बटे हुए बढ़िया मलमल से बनाएँ। उस पर कढ़ाई का काम होना चाहिए।+ 7 एपोद के दो हिस्से होने चाहिए। सामनेवाले हिस्से को पीछेवाले हिस्से से कंधे की जगह पर जोड़ा जाना चाहिए। 8 एपोद में एक बुना हुआ कमरबंद+ लगा होना चाहिए ताकि एपोद को कसकर बाँधा जा सके। कमरबंद भी इन चीज़ों से बनाया जाए: सोना, नीला धागा, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागा और बटा हुआ बढ़िया मलमल।
9 तू दो सुलेमानी पत्थर+ लेना और उन पर इसराएल के बेटों के नाम खोदना।+ 10 उनकी उम्र के मुताबिक क्रम से एक पत्थर पर छ: के नाम और दूसरे पर बाकी छ: के नाम खोदना। 11 पत्थरों पर खुदाई करनेवाला कारीगर दोनों पत्थरों पर इसराएल के बेटों के नाम इस तरह खोदकर लिखेगा जैसे मुहर पर खुदाई की जाती है।+ फिर उन पत्थरों को सोने के खाँचों में जड़ना। 12 तू दोनों पत्थरों को एपोद के कंधेवाले हिस्सों पर लगाना ताकि ये इसराएल के बेटों के लिए यादगार के पत्थर बन जाएँ।+ ये नाम जो यादगार के लिए लिखे गए हैं, इन्हें हारून अपने दोनों कंधों पर धारण किए यहोवा के सामने हाज़िर हुआ करेगा। 13 तू सोने के खाँचे बनाना 14 और शुद्ध सोने की दो ज़ंजीरें बनाना जो एक डोरी की तरह बटी हों।+ इन ज़ंजीरों को खाँचों से जोड़ देना।+
15 तू कढ़ाई का काम करनेवाले से न्याय का सीनाबंद+ बनवाना। इसे भी एपोद की तरह इन चीज़ों से बनवाना: सोना, नीला धागा, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागा और बटा हुआ बढ़िया मलमल।+ 16 सीनाबंद ऐसा हो कि बीच से मोड़ने पर चौकोर हो जाए, एक बित्ता* लंबा और एक बित्ता चौड़ा। 17 इसमें चार कतारों में रत्न लगाना जो खाँचों में बिठाए गए हों। पहली कतार में माणिक, पुखराज और पन्ना हों। 18 दूसरी कतार में फिरोज़ा, नीलम और यशब। 19 तीसरी कतार में लशम,* हकीक और कटैला। 20 चौथी कतार में करकेटक, सुलेमानी और मरगज। इन रत्नों को सोने के खाँचों में बिठाना। 21 इन 12 रत्नों पर इसराएल के 12 बेटों के नाम होने चाहिए। ये नाम ऐसे खुदवाना जैसे मुहर पर खुदाई की जाती है। हर रत्न पर एक बेटे का नाम होगा जो एक गोत्र को दर्शाएगा।
22 तू सीनेबंद के लिए शुद्ध सोने की बटी हुई ज़ंजीरें बनाना जो दिखने में डोरियों जैसी लगें।+ 23 तू सीनेबंद के लिए सोने के दो छल्ले बनाना और उन्हें सीनेबंद के दो कोनों पर लगाना। 24 सोने की दोनों डोरियों को सीनेबंद के कोनों पर लगे छल्लों में डालना। 25 दो डोरियों के दोनों छोर को दो खाँचों के अंदर से निकालकर उन्हें एपोद के कंधेवाले हिस्सों पर, सामने की तरफ लगाना। 26 तू सोने के दो छल्ले बनाना और उन्हें सीनेबंद के निचले दो कोनों पर अंदर की तरफ लगाना, यानी सीनेबंद के उस हिस्से में जो एपोद की तरफ है।+ 27 तू सोने के दो और छल्ले बनाना और उन्हें एपोद के सामने की तरफ, कंधेवाले हिस्सों के नीचे, जहाँ वह जुड़ता है यानी बुने हुए कमरबंद+ के ठीक ऊपर लगाना। 28 फिर एक नीली डोरी से सीनेबंद के छल्लों को एपोद के छल्लों से जोड़ देना। इससे सीनाबंद एपोद में कमरबंद के ऊपर अपनी जगह पर बना रहेगा।
29 हारून जब भी डेरे के पवित्र भाग में जाएगा तो उसे अपनी छाती पर न्याय का सीनाबंद पहने और उस पर हमेशा की यादगार के लिए दर्ज़ इसराएल के बेटों के नाम धारण किए हुए यहोवा के सामने हाज़िर होना चाहिए। 30 तू न्याय के सीनेबंद में ऊरीम और तुम्मीम*+ रखना और जब भी हारून यहोवा के सामने आए तो ये उसके दिल पर हों। हारून जब भी इसराएलियों की खातिर यहोवा के फैसले जानने के लिए उसके सामने हाज़िर होगा तो उसके दिल पर परमेश्वर के फैसले जानने का यह ज़रिया हो।
31 एपोद के नीचे पहनने के लिए एक बिन आस्तीन का बागा बनाना। यह बागा सिर्फ नीले धागे से बनाना।+ 32 बागे में ऊपर गला* बनाना और उसके चारों तरफ एक जुलाहे से किनारा बनवाना। यह किनारा बख्तर के गले के किनारे जैसा मज़बूत होना चाहिए ताकि फट न जाए। 33 बागे के नीचे के घेरे में अनार के आकार में फुँदने बनाना। इन्हें नीले धागे, बैंजनी ऊन और सुर्ख लाल धागे से बनाना। अनारों के बीच-बीच में सोने की घंटियाँ लगाना। 34 सोने की एक घंटी के बाद एक अनार, फिर एक घंटी फिर एक अनार। इस तरह बिन आस्तीन के बागे के पूरे घेरे में अनार और घंटियाँ लगाना। 35 हारून को यह बागा पहनकर ही सेवा करनी चाहिए ताकि जब भी वह पवित्र-स्थान में यहोवा के सामने जाए और वहाँ से बाहर निकले तो घंटियों की आवाज़ सुनायी दे, वरना वह मर जाएगा।+
36 तू शुद्ध सोने की एक चमचमाती पट्टी बनाना और उस पर ये शब्द खुदवाना, ‘यहोवा पवित्र है।’ ये उसी तरह खुदवाना जैसे मुहर पर खुदाई की जाती है।+ 37 इस पट्टी को एक नीली डोरी से पगड़ी पर बाँधना।+ यह पट्टी हमेशा पगड़ी पर सामने की तरफ लगी होनी चाहिए। 38 यह हारून के माथे पर नज़र आएगी। जब कोई उन पवित्र चीज़ों के खिलाफ पाप करता है जिन्हें इसराएली पवित्र भेंट के तौर पर अलग करके अर्पित करते हैं, तो इसके लिए हारून ज़िम्मेदार होगा।+ यह पट्टी हारून के माथे पर हमेशा होनी चाहिए ताकि लोग यहोवा की मंज़ूरी पा सकें।
39 तू बढ़िया मलमल से चारखाने का एक कुरता बुनना और उसे बाँधने के लिए एक बुनी हुई कमर-पट्टी बनाना। और बढ़िया मलमल की एक पगड़ी भी बनाना।+
40 तू हारून के बेटों के लिए भी कुरते, कमर-पट्टियाँ और साफा बनाना+ जो उनकी गरिमा और शोभा बढ़ाए।+ 41 तू अपने भाई हारून और उसके बेटों को ये पोशाकें पहनाकर उनका अभिषेक करना,+ उन्हें याजकपद सौंपना*+ और इस सेवा के लिए अलग ठहराना। फिर वे याजकों के नाते मेरी सेवा करेंगे। 42 तू उनके लिए मलमल के जाँघिये भी बनाना ताकि उनका नंगापन* ढका रहे।+ ये जाँघिये कमर से जाँघ तक लंबे होने चाहिए। 43 हारून और उसके बेटे जब भी भेंट के तंबू में या पवित्र-स्थान की वेदी पर सेवा करने आएँगे तो वे ये जाँघिये पहने हुए हों ताकि ऐसा न हो कि वे दोषी पाए जाएँ और मार डाले जाएँ। यह हारून और उसके वंशजों के लिए सदा का नियम है।