18 तुम सचमुच के पहाड़ के पास नहीं आए जिसे छुआ जा सके+ और जो आग की लपटों से जल रहा हो+ और न ही तुम काले बादल और घोर अंधकार और आँधी के पास आए हो।+ 19 न ही तुम तुरही की तेज़ आवाज़+ या किसी के बोलने की आवाज़ सुन रहे हो+ जिसे सुनने पर लोगों ने बिनती की थी कि उनसे और बात न की जाए।+