9 मगर हम यीशु को देखते हैं जिसे स्वर्गदूतों से थोड़ा कमतर बनाया गया।+ और मौत का दुख झेलने की वजह से उसे महिमा और आदर का ताज पहनाया गया+ ताकि परमेश्वर की महा-कृपा से वह हर इंसान के लिए मौत का दुख झेले।+
27 उसे उन महायाजकों की तरह हर दिन बलिदान चढ़ाने की ज़रूरत नहीं,+ जो पहले अपने पापों के लिए और फिर लोगों के पापों के लिए बलिदान चढ़ाते हैं।+ क्योंकि उसने एक ही बार और हमेशा-हमेशा के लिए खुद का बलिदान चढ़ा दिया।+
7 मगर दूसरे भाग में सिर्फ महायाजक जाता था और वह भी साल में सिर्फ एक बार।+ लेकिन वह उस खून के बिना नहीं जाता था,+ जो वह खुद अपने पापों के लिए+ और लोगों के अनजाने में किए पापों के लिए चढ़ाता था।+
12 वह बकरों और बैलों का खून लेकर नहीं बल्कि खुद अपना खून लेकर, हमेशा-हमेशा के लिए एक ही बार पवित्र जगह में दाखिल हुआ+ और हमें सदा के लिए छुटकारा दिलाया।*+
5 तुम्हें यीशु मसीह की तरफ से भी महा-कृपा और शांति मिले जो “विश्वासयोग्य साक्षी,”+ “मरे हुओं में से ज़िंदा होनेवालों में पहलौठा”+ और “धरती के राजाओं का राजा” है।+
यीशु जो हमसे प्यार करता है+ और जिसने अपने खून के ज़रिए हमें पापों से छुड़ाया+