43 तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘तुम अपने पड़ोसी से प्यार करना+ और दुश्मन से नफरत।’ 44 लेकिन मैं तुमसे कहता हूँ: अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो+ और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए प्रार्थना करते रहो।+
9 क्योंकि ये आज्ञाएँ, “तुम व्यभिचार* न करना,+ तुम खून न करना,+ तुम चोरी न करना,+ तुम लालच न करना”+ और इनके साथ-साथ जो भी आज्ञाएँ हैं, सबका निचोड़ इस एक बात में पाया जाता है, “अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो।”+
8 अगर तुम शास्त्र के मुताबिक इस शाही नियम को मानते हो: “तुम अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो,”+ तो तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो।