15 क्योंकि जो सबसे महान है, जो सदा तक जीवित रहता है+
और जिसका नाम पवित्र है,+ वह कहता है,
“भले ही मैं ऊँची और पवित्र जगह में रहता हूँ,+
मगर मैं उनके संग भी रहता हूँ जो कुचले हुए और मन से दीन हैं
ताकि दीन जनों की हिम्मत बँधाऊँ
और कुचले हुओं में नयी जान डाल दूँ।+