5 वाकई, तूने मुझे पल-भर की ज़िंदगी दी है,+
मेरा जीवनकाल तेरे सामने कुछ भी नहीं।+
सच, हर इंसान बस एक साँस है,
फिर चाहे वह कितना ही सुरक्षित क्यों न दिखायी पड़े।+ (सेला )
6 सच, हर इंसान एक परछाईं जैसा है।
वह बेकार में दौड़-धूप करता है।
दौलत का अंबार लगाता है, मगर नहीं जानता कि कौन उसका मज़ा लेगा।+