6 आज मैं तुझे जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ, वे तेरे दिल में बनी रहें। 7 और तू इन्हें अपने बेटों के मन में बिठाना*+ और अपने घर में बैठे, सड़क पर चलते, लेटते, उठते इनके बारे में उनसे चर्चा करना।+
9 यही नहीं, हमारे पिता भी हमें सुधारा करते थे और हम उनका आदर करते थे। तो क्या हमें उस पिता के, जिसने हमें पवित्र शक्ति से जीवन दिया है, और भी ज़्यादा अधीन नहीं रहना चाहिए ताकि हम जीते रहें?+