34 मैं अपना शक्तिशाली हाथ बढ़ाकर और अपने क्रोध का प्याला उँडेलकर तुम्हें दूसरे देशों में से बाहर निकाल लाऊँगा और तुम्हें उन देशों से इकट्ठा करूँगा जहाँ तुम्हें तितर-बितर कर दिया गया है।+
12 जैसे एक चरवाहा उन भेड़ों को ढूँढ़कर लाता है जो तितर-बितर हो गयी हैं और उन्हें खिलाता-पिलाता है, उसी तरह मैं अपनी भेड़ों की देखभाल करूँगा।+ मैं उन्हें उन सभी जगहों से बचाकर ले आऊँगा जहाँ वे काले घने बादलों के दिन+ तितर-बितर हो गयी थीं।