2 मैं तुझसे एक बड़ा राष्ट्र बनाऊँगा और तुझे आशीष दूँगा और तेरा नाम महान करूँगा और तू दूसरों के लिए एक आशीष ठहरेगा।+3 जो तुझे आशीर्वाद देंगे उन्हें मैं आशीष दूँगा और जो तुझे शाप देंगे उन्हें मैं शाप दूँगा+ और तेरे ज़रिए धरती के सभी कुल ज़रूर आशीष पाएँगे।”*+
12 यहोवा तुम्हारे लिए आकाश का भंडार खोलकर तुम्हारे देश को वक्त पर बारिश देगा+ और तुम्हारे सभी कामों पर आशीष देगा। तुम्हारे पास इतना होगा कि तुम बहुत-से राष्ट्रों को उधार दे सकोगे जबकि तुम्हें कभी उनसे उधार नहीं लेना पड़ेगा।+
13 हे यहूदा के घराने, हे इसराएल के घराने, राष्ट्र तुम्हारी मिसाल देकर शाप देते थे,+ मगर अब मैं तुम्हें बचाऊँगा और तुम आशीष पाने की वजह बन जाओगे।+ डरो मत,+ हिम्मत से काम लो।’*+