22 जब यीशु और उसके चेले गलील में एक-साथ थे, तो उसने उनसे कहा, “इंसान के बेटे के साथ विश्वासघात किया जाएगा और उसे लोगों के हवाले कर दिया जाएगा।+23 वे उसे मार डालेंगे और उसे तीसरे दिन ज़िंदा किया जाएगा।”+ यह सुनकर वे बहुत दुखी हो गए।
18 “देखो! हम यरूशलेम जा रहे हैं और इंसान का बेटा प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हवाले किया जाएगा। वे उसे मौत की सज़ा सुनाएँगे+19 और गैर-यहूदियों के हवाले कर देंगे कि वे उसका मज़ाक उड़ाएँ, उसे कोड़े लगाएँ और काठ पर लटकाकर मार डालें।+ फिर तीसरे दिन उसे ज़िंदा कर दिया जाएगा।”+
31 फिर वह चेलों को बताने लगा कि इंसान के बेटे को कई तकलीफें सहनी पड़ेंगी और मुखिया, प्रधान याजक और शास्त्री उसे ठुकरा देंगे और वह मार डाला जाएगा।+ फिर तीन दिन बाद वह ज़िंदा हो जाएगा।+
22 और यह भी कहा, “इंसान के बेटे को कई दुख-तकलीफें सहनी पड़ेंगी और मुखिया, प्रधान याजक और शास्त्री उसे ठुकरा देंगे और वह मार डाला जाएगा।+ फिर तीसरे दिन उसे ज़िंदा कर दिया जाएगा।”+
6 वह यहाँ नहीं है बल्कि उसे ज़िंदा कर दिया गया है। याद करो, जब वह गलील में ही था तो उसने तुमसे क्या कहा था 7 कि ज़रूरी है कि इंसान का बेटा पापियों के हवाले किया जाए और काठ पर लटकाकर मार डाला जाए, मगर फिर तीसरे दिन ज़िंदा हो जाए।”+8 तब उन्हें उसकी ये बातें याद आयीं+
3 इसलिए कि जो बातें मुझे सिखायी गयी थीं और जो मैंने तुम तक पहुँचायी हैं, उनमें सबसे ज़रूरी यह है कि जैसा शास्त्र में लिखा है, मसीह हमारे पापों के लिए मरा+4 और उसे दफनाया गया।+ और जैसा शास्त्र में लिखा था+ उसे तीसरे दिन+ ज़िंदा किया गया।+