12 वहाँ हनन्याह नाम का एक आदमी था जो परमेश्वर का कानून माननेवाला एक भक्त इंसान था और वहाँ रहनेवाले सभी यहूदी उसकी तारीफ किया करते थे। 13 वह मेरे पास आकर खड़ा हुआ और उसने मुझसे कहा, ‘शाऊल, मेरे भाई, आँखों की रौशनी पा!’ उसी घड़ी मेरी आँखों की रौशनी लौट आयी और मैंने उसे देखा।+