3 जब वह दमिश्क पहुँचनेवाला था, तो रास्ते में अचानक उसके चारों तरफ आकाश से रौशनी चमक उठी।+4 तब वह ज़मीन पर गिर पड़ा और उसने एक आवाज़ सुनी जो उससे कह रही थी, “शाऊल, शाऊल, तू क्यों मुझ पर ज़ुल्म कर रहा है?”
9क्या मैं आज़ाद नहीं कि जो चाहे वह करूँ? क्या मैं एक प्रेषित नहीं? क्या मैंने हमारे प्रभु यीशु को नहीं देखा?+ क्या तुम प्रभु में मेरी मेहनत का फल नहीं हो?