27 मगर मैं तुम लोगों से जो मेरी बातें सुन रहे हो कहता हूँ: अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो। जो तुमसे नफरत करते हैं उनके साथ भलाई करते रहो।+ 28 जो तुम्हें कोसते हैं उन्हें आशीष देते रहो और जो तुम्हारी बेइज़्ज़ती करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करते रहो।+