3 उन्होंने अपनी हैसियत के हिसाब से दिया,+ बल्कि उससे भी ज़्यादा दिया+ और मैं खुद इस बात का गवाह हूँ। 4 उन्होंने खुद आगे बढ़कर हमसे गुज़ारिश की, यहाँ तक कि वे हमसे मिन्नतें करते रहे कि उन्हें भी पवित्र जनों को राहत पहुँचाने के लिए दान देने का सम्मान दिया जाए।+