15 इसलिए भाइयो, मज़बूत खड़े रहो+ और जो बातें* तुम्हें सिखायी गयी थीं उन्हें मानते रहो,+ चाहे वे तुम्हें ज़बानी तौर पर सिखायी गयी थीं या हमारी चिट्ठी के ज़रिए।
14 लेकिन अगर कोई उन बातों को नहीं मानता जो हमने इस चिट्ठी में बतायी हैं, तो ऐसे आदमी पर नज़र रखो* और उसके साथ मिलना-जुलना छोड़ दो+ ताकि वह शर्मिंदा हो।