भजन
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यदूतून* का।
62 मैं चुपचाप परमेश्वर का इंतज़ार करता हूँ।
वही मेरा उद्धारकर्ता है।+
2 वही मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, मेरा ऊँचा गढ़ है,+
मैं कभी इस कदर हिलाया नहीं जा सकता कि गिर जाऊँ।+
3 तुम एक इंसान को मार डालने के लिए कब तक उस पर वार करते रहोगे?+
तुम सब-के-सब खतरनाक हो, उस दीवार की तरह जो झुकी हुई है,
पत्थर की उस दीवार की तरह जो बस ढहनेवाली है।*
मुँह से तो वे आशीर्वाद देते हैं, पर मन-ही-मन शाप देते हैं।+ (सेला )
7 मेरा उद्धार और मेरा वैभव परमेश्वर की ही बदौलत है।
परमेश्वर मेरी मज़बूत चट्टान है, मेरा गढ़ है।+
8 लोगो, हमेशा उस पर भरोसा रखो।
उसके आगे अपना दिल खोलकर रख दो।+
परमेश्वर हमारी पनाह है।+ (सेला )
अगर उन सबको एक-साथ तौला जाए, तो भी वे साँस से हलके निकलेंगे।+
10 इस गलतफहमी में मत रहो कि धोखाधड़ी से तुम कामयाब होगे,
या लूट-खसोट से तुम्हें फायदा होगा।
अगर तुम्हारी दौलत बढ़ने लगे, तो अपना मन उसी पर मत लगाना।+
11 मैंने एक बार नहीं, दो बार परमेश्वर को यह कहते सुना,
“ताकत परमेश्वर ही की है।”+