दाविद की रचना।
103 मेरा मन यहोवा की तारीफ करे,
मेरा रोम-रोम उसके पवित्र नाम की तारीफ करे।
2 मेरा मन यहोवा की तारीफ करे,
उसके सारे काम मैं कभी नहीं भूलूँगा।+
3 वह मेरे सारे गुनाह माफ करता है,+
मेरी सभी बीमारियाँ दूर करता है।+
4 वह मुझे गड्ढे से निकालकर मेरी जान बचाता है,+
मुझे अपने अटल प्यार और दया का ताज पहनाता है।+
5 वह ज़िंदगी-भर मुझे अच्छी चीज़ों से संतुष्ट करता है+
ताकि मुझमें उकाब जैसी जवानी और दमखम बना रहे।+
6 सभी सताए हुओं की खातिर
यहोवा नेक काम करता है, उन्हें न्याय दिलाता है।+
7 उसने मूसा को अपनी राहें बतायी थीं,+
इसराएलियों पर अपने काम ज़ाहिर किए थे।+
8 यहोवा दयालु और करुणा से भरा है,+
क्रोध करने में धीमा और अटल प्यार से भरपूर है।+
9 वह हमेशा खामियाँ नहीं ढूँढ़ता रहेगा,+
न ही सदा नाराज़गी पाले रहेगा।+
10 उसने हमारे पापों के मुताबिक हमारे साथ सलूक नहीं किया,+
न ही हमारे गुनाहों के मुताबिक हमें सज़ा दी।+
11 क्योंकि आकाश धरती से जितना ऊँचा है,
उसका डर माननेवालों के लिए उसका अटल प्यार उतना ही महान है।+
12 पूरब पश्चिम से जितना दूर है,
उसने हमारे अपराधों को हमसे उतना ही दूर फेंक दिया है।+
13 जैसे एक पिता अपने बच्चों पर दया करता है,
वैसे ही यहोवा ने उन पर दया दिखायी है जो उसका डर मानते हैं।+
14 क्योंकि वह हमारी रचना अच्छी तरह जानता है,+
वह याद रखता है कि हम मिट्टी ही हैं।+
15 जहाँ तक नश्वर इंसान की बात है,
उसका वजूद घास की तरह है,+
वह मैदान के फूल की तरह खिलता है।+
16 मगर जब तेज़ हवा चलती है, तो वह नाश हो जाता है,
मानो वह कभी था ही नहीं।
17 लेकिन यहोवा का अटल प्यार युग-युग तक बना रहता है,
उनके लिए बना रहता है जो उसका डर मानते हैं,+
उसकी नेकी उनके बच्चों के बच्चों के लिए सदा बनी रहेगी,+
18 उनके लिए जो उसका करार मानते हैं+
और जो उसके आदेश सख्ती से मानते हैं।
19 यहोवा ने स्वर्ग में अपनी राजगद्दी मज़बूती से कायम की है,+
उसका राज हर चीज़ पर है।+
20 सभी स्वर्गदूतो,+ तुम जो शक्तिशाली हो,
उसकी आज्ञा मानकर उसके वचन का पालन करते हो,+
यहोवा की तारीफ करो।
21 उसकी सारी सेनाओ,
उसकी मरज़ी पूरी करनेवाले सेवको,+ यहोवा की तारीफ करो।+
22 हे सारी सृष्टि,
उसके राज्य के कोने-कोने में यहोवा की तारीफ कर।
मेरा रोम-रोम यहोवा की तारीफ करे।