भजन
यादगार के लिए दाविद का सुरीला गीत।
3 तेरे क्रोध की वजह से मेरा सारा शरीर रोगी है।*
मेरे पाप की वजह से मेरी हड्डियों में चैन नहीं।+
5 मेरी मूर्खता के कारण मेरे घाव सड़ गए हैं,
उनसे बदबू आती है।
6 मैं टूट चुका हूँ, यह दर्द बरदाश्त से बाहर है,
मैं सारा दिन मायूसी में डूबा रहता हूँ।
8 मैं सुन्न हो गया हूँ, बिलकुल चूर हो गया हूँ,
मन की बेचैनी के मारे ज़ोर-ज़ोर से कराहता रहता हूँ।
9 हे यहोवा, तू मेरी सारी इच्छाएँ जानता है,
मेरा आहें भरना तुझसे छिपा नहीं है।
11 मुझे ज़ख्मों से भरा देखकर मेरे दोस्त और साथी मुझसे किनारा कर लेते हैं,
जो कभी मेरे करीब थे वे अब मुझसे दूर रहते हैं।
12 मेरे जानी दुश्मन मेरे लिए फंदे बिछाते हैं,
मेरा बुरा चाहनेवाले मुझे बरबाद करने की बातें करते हैं,+
वे दिन-भर मुझे छलने की तरकीबें बुनते रहते हैं।
14 मैं ऐसे आदमी की तरह हो गया हूँ जो सुन नहीं सकता,
न ही अपनी सफाई में कुछ कह सकता है।
16 मैंने कहा था, “अगर मेरा पैर फिसल जाए
तो वे मुझ पर न हँसें या घमंड से न फूलें।”
20 उन्होंने मेरी अच्छाई का सिला बुराई से दिया,
वे मेरा विरोध करते रहे क्योंकि मैं भले काम करने का जतन करता था।
21 हे यहोवा, मुझे छोड़ न देना।
हे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहना।+