भजन
आसाप+ का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यदूतून* पर।
2 मुसीबत के दिन मैं यहोवा की खोज करता हूँ।+
रात को मेरे हाथ बिना थके उसकी तरफ फैले रहते हैं।
फिर भी मेरे मन को दिलासा नहीं मिलता।
4 तू मेरी पलकों को झपकने नहीं देता,
मैं दुख से बेहाल हूँ, मुझसे कुछ कहते नहीं बनता।
6 रात के दौरान मैं अपना गीत* याद करता हूँ।+
मैं इन सवालों पर दिल से विचार करता हूँ,+
अच्छी तरह खोजबीन करके जवाब तलाशता हूँ:
7 क्या यहोवा ने हमें सदा के लिए त्याग दिया है?+
क्या वह फिर कभी हम पर कृपा नहीं करेगा?+
8 क्या उसका अटल प्यार सदा के लिए मिट गया है?
क्या उसका वादा कभी नहीं पूरा होगा?
9 क्या परमेश्वर हम पर कृपा करना भूल गया है?+
क्या उसने गुस्से में आकर दया करना छोड़ दिया है? (सेला )
10 क्या मुझे बार-बार कहना पड़ेगा, “मुझे यह बात बहुत तड़पाती* है+
कि परम-प्रधान परमेश्वर ने हमसे अपना दायाँ हाथ खींच लिया है”?
11 हे याह, मैं तेरे काम याद करूँगा,
गुज़रे ज़माने में किए तेरे आश्चर्य के काम याद करूँगा।
13 हे परमेश्वर, तेरी राहें पवित्र हैं।
हे परमेश्वर, क्या कोई ईश्वर है जो तुझ जैसा महान हो?+
14 तू ही सच्चा परमेश्वर है जो आश्चर्य के काम करता है।+
तूने देश-देश के लोगों पर अपनी ताकत ज़ाहिर की है।+
गहरे सागर में खलबली मच गयी।
17 बादल बरसने लगे,
घनघोर घटाओं से घिरा आसमान गरजने लगा।
तेरे बिजली के तीर इधर-उधर चलने लगे।+
18 तेरा गरजना+ रथ के पहियों की तेज़ घड़घड़ाहट जैसा था,
बिजली के कौंधने से सारा जग* रौशन हो गया,+
ज़मीन काँप उठी, डोलने लगी।+