भजन
ל [लामेध ]
10 हे यहोवा, तू क्यों दूर खड़ा रहता है?
मुसीबत की घड़ी में क्यों छिप जाता है?+
3 क्योंकि दुष्ट अपनी बुरी इच्छाओं पर डींग मारता है,+
लालची को आशीर्वाद देता है।*
נ [नून ]
वह यहोवा का अनादर करता है।
4 दुष्ट अपनी हेकड़ी की वजह से परमेश्वर की खोज नहीं करता,
वह मन में यही कहता है, “कोई परमेश्वर नहीं।”+
5 दुष्ट अपनी राह पर फलता-फूलता है,+
मगर तेरे फैसले उसकी समझ से परे हैं,+
वह अपने सभी बैरियों को तुच्छ जानता है।
6 वह मन में कहता है, “मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता,*
मैं पीढ़ी-दर-पीढ़ी कभी मुसीबत का मुँह नहीं देखूँगा।”+
פ [पे ]
ע [ऐयिन ]
उसकी आँखें लाचार को ढूँढ़ती हैं ताकि उसका शिकार करे।+
वह बेसहारे को जाल में फँसाकर धर-दबोचता है।+
11 दुष्ट मन में कहता है, “परमेश्वर भूल गया है।+
उसने अपना मुँह फेर लिया है।
वह कभी ध्यान नहीं देता।”+
ק [कोफ ]
12 हे यहोवा, उठ!+ हे परमेश्वर, अपना हाथ उठा!+
बेसहारों को न भूल।+
13 आखिर दुष्ट क्यों परमेश्वर का अनादर करता है?
वह मन में कहता है, “परमेश्वर मुझसे लेखा नहीं लेगा।”
ר [रेश ]
14 मगर तू बेशक तकलीफें और मुसीबतें देखता है।
तू ध्यान देता है और मामले अपने हाथ में लेता है।+
ש [शीन ]
राष्ट्र धरती से मिट गए हैं।+
ת [ताव ]