होशे
3 मगर मैंने ही एप्रैम को चलना सिखाया था,+ मैं उन्हें अपनी बाँहों में ले लेता था,+
मगर उन्होंने यह नहीं माना कि मैंने उन्हें चंगा किया था।
4 इंसानों की डोरी* से और प्यार की डोरी से मैं उन्हें अपनी तरफ खींचता रहा।+
मैं उनके लिए गरदन* से जुआ हटानेवाले जैसा था
और मैं हरेक को प्यार से खाना देता था।
5 वे मिस्र नहीं लौटेंगे, मगर अश्शूर उनका राजा होगा,+
क्योंकि उन्होंने मेरे पास लौटने से इनकार कर दिया है।+
फाटक के बेड़े काट डालेगी और उन्हें खा जाएगी क्योंकि वे साज़िशें रचते हैं।+
7 मेरे लोगों ने मुझसे विश्वासघात करने की ठान ली है।+
वे उन्हें ऊपर* बुलाते थे, मगर उनमें से कोई नहीं उठता था।
8 हे एप्रैम, मैं कैसे तुझे दुश्मन के हवाले करूँ?+
हे इसराएल, मैं कैसे तुझे दुश्मन के हाथ सौंप दूँ?
मैंने अदमा के साथ जो किया था वह तेरे साथ कैसे करूँ?
मैं तेरा हाल सबोयीम की तरह कैसे कर दूँ?+
मैंने अपना मन बदला है,
साथ ही मेरे दिल में करुणा जाग उठी है।+
9 मैं तुझ पर अपने क्रोध की आग नहीं बरसाऊँगा।
मैं एप्रैम को फिर नाश नहीं करूँगा,+
क्योंकि मैं परमेश्वर हूँ इंसान नहीं,
मैं तेरे बीच रहनेवाला पवित्र परमेश्वर हूँ,
मैं क्रोध से भरकर तेरे पास नहीं आऊँगा।
10 वे यहोवा के पीछे-पीछे चलेंगे और वह शेर की तरह गरजेगा,+
जब वह गरजेगा तो उसके बेटे थरथराते हुए पश्चिम से आएँगे।+
11 जब वे मिस्र से निकलकर आएँगे तो एक पक्षी की तरह थरथराएँगे,
एक फाख्ते की तरह जो अश्शूर देश से आती है+
और मैं उन्हें उनके घरों में बसाऊँगा।” यहोवा का यह ऐलान है।+
मगर यहूदा अब भी परमेश्वर के साथ चलता है,
वह परम-पवित्र परमेश्वर का विश्वासयोग्य बना हुआ है।”+