भजन
दाविद का सुरीला गीत।
141 हे यहोवा, मैं तुझे पुकारता हूँ।+
मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+
जब मैं तुझे पुकारूँ तो मुझ पर ध्यान दे।+
2 तेरे सामने मेरी प्रार्थना तैयार किए हुए धूप जैसी हो,+
मेरे उठाए हुए हाथ शाम के अनाज के चढ़ावे जैसे हों।+
4 मेरे दिल को किसी भी बुरी बात की तरफ झुकने न दे+
ताकि मैं बुरे लोगों के दुष्ट कामों का हिस्सेदार न बनूँ,
मैं कभी उनके लज़ीज़ खाने का मज़ा न लूँ।
5 अगर नेक जन मुझे मारे, तो यह उसका अटल प्यार होगा,+
अगर वह मुझे फटकारे, तो यह मेरे सिर पर तेल जैसा होगा,+
जिसे मेरा सिर कभी नहीं ठुकराएगा।+
मैं नेक जन की मुसीबतों में भी उसके लिए प्रार्थना करता रहूँगा।
6 चाहे उनके न्यायी खड़ी चट्टान से नीचे गिरा दिए जाएँ,
फिर भी लोग मेरी बातों पर ध्यान देंगे क्योंकि ये मनभावनी हैं।
7 जैसे किसी के हल चलाने पर मिट्टी के ढेले फूटकर बिखर जाते हैं,
वैसे ही हमारी हड्डियाँ कब्र के मुँह पर बिखरा दी गयी हैं।
8 मगर हे सारे जहान के मालिक यहोवा, मेरी आँखें तेरी ओर लगी हैं।+
मैंने तेरी पनाह ली है।
मेरी जान न लेना।
9 उन्होंने मेरे लिए जो जाल बिछाया है उसके चंगुल से मुझे बचा,
बुरे काम करनेवालों के फंदों से मुझे बचा।