गिनती
9 इसराएलियों के मिस्र से निकलने के दूसरे साल के पहले महीने में यहोवा ने सीनै वीराने में मूसा से कहा,+ 2 “इसराएलियों को चाहिए कि फसह के लिए जो वक्त तय किया गया है,+ उस वक्त पर वे फसह का बलिदान तैयार करें।+ 3 इस महीने के 14वें दिन, शाम के झुटपुटे के समय* तुम तय वक्त पर यह बलिदान तैयार करना। फसह के बारे में जो-जो विधियाँ और तरीके बताए गए हैं, तुम ठीक उसी तरह तैयारी करना।”+
4 तब मूसा ने इसराएलियों से फसह का बलिदान तैयार करने के लिए कहा। 5 उन्होंने पहले महीने के 14वें दिन, शाम के झुटपुटे के समय* सीनै वीराने में फसह का बलिदान तैयार किया। यहोवा ने मूसा को जो-जो आज्ञा दी थी, इसराएलियों ने वह सब किया।
6 मगर कुछ आदमी उस दिन फसह का बलिदान नहीं तैयार कर पाए क्योंकि वे एक लाश छूने की वजह से अशुद्ध हो गए थे।+ इसलिए वे मूसा और हारून के पास गए+ 7 और उन्होंने उससे कहा, “हम लोग एक लाश छूने की वजह से अशुद्ध हो गए हैं। फिर भी हम सब इसराएलियों के साथ तय वक्त पर यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाना चाहते हैं। इसलिए हम तुझसे बिनती करते हैं कि हमें बता, हम क्या करें?”+ 8 मूसा ने उनसे कहा, “ठीक है, मैं यहोवा से पूछकर आता हूँ कि इस बारे में उसकी क्या आज्ञा है।+ तुम लोग यहीं मेरा इंतज़ार करो।”
9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 10 “इसराएलियों से कहना, ‘अगर तुममें से कोई आदमी या तुम्हारी आनेवाली पीढ़ियों में से कोई आदमी किसी लाश को छूने की वजह से अशुद्ध हो जाए+ या अगर वह कहीं दूर सफर पर हो, तो भी उसे यहोवा के लिए फसह का बलिदान तैयार करना चाहिए। 11 उसे दूसरे महीने के 14वें दिन शाम के झुटपुटे के समय* यह तैयारी करनी चाहिए।+ उसे फसह के जानवर का गोश्त, बिन-खमीर की रोटी और कड़वे साग के साथ खाना चाहिए।+ 12 उसे अगली सुबह तक गोश्त बचाकर नहीं रखना चाहिए+ और उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़नी चाहिए।+ उसे सारी विधियों के मुताबिक ही तैयारी करनी चाहिए। 13 लेकिन अगर कोई आदमी शुद्ध है या दूर सफर पर नहीं है, फिर भी वह लापरवाह होकर फसह का बलिदान नहीं तैयार करता, तो उसे मौत की सज़ा दी जाए+ क्योंकि उसने तय वक्त पर यहोवा को बलिदान नहीं चढ़ाया है। उसे अपने पाप का लेखा देना होगा।
14 अगर तुम्हारे बीच कोई परदेसी रहता है, तो उसे भी यहोवा के लिए फसह का बलिदान तैयार करना चाहिए।+ फसह के बारे में जो-जो विधियाँ और तरीके बताए गए हैं, ठीक उसी तरह उसे यह तैयारी करनी चाहिए।+ तुम सबके लिए एक ही विधि होगी, फिर चाहे तुम पैदाइशी इसराएली हो या परदेसी।’”+
15 जिस दिन पवित्र डेरा यानी गवाही के संदूक का तंबू खड़ा किया गया था,+ उस दिन उसके ऊपर बादल आकर छा गया। मगर शाम को वह डेरे के ऊपर आग-सा दिखायी देने लगा और सुबह तक वैसा ही रहा।+ 16 ऐसा हर दिन होता रहा: दिन में पवित्र डेरे के ऊपर बादल होता और रात को वह आग-सा दिखायी देता।+ 17 जब भी तंबू के ऊपर से बादल हटता तो इसराएली फौरन अपना पड़ाव उठाकर आगे बढ़ने लगते।+ और जहाँ बादल रुक जाता, वहीं वे अपनी छावनी डालते।+ 18 यहोवा के आदेश पर इसराएली रवाना होते और यहोवा के आदेश पर ही वे अपनी छावनी डालते।+ जब तक बादल पवित्र डेरे के ऊपर ठहरा रहता तब तक वे अपनी छावनी डाले रहते। 19 अगर बादल बहुत दिनों तक डेरे के ऊपर ठहरा रहता, तो इसराएली यहोवा की आज्ञा मानकर उतने दिनों तक अपना पड़ाव नहीं उठाते।+ 20 लेकिन कभी-कभी बादल कुछ ही दिनों के लिए डेरे के ऊपर ठहरता। यहोवा के आदेश पर इसराएली अपनी छावनी डाले रहते और यहोवा के आदेश पर ही वे रवाना होते। 21 कभी-कभी तो बादल सिर्फ शाम से सुबह तक ही ठहरता था। सुबह जब बादल डेरे पर से उठता तो वे रवाना हो जाते। चाहे दिन हो या रात, जब भी बादल डेरे के ऊपर से उठता, इसराएली अपना पड़ाव उठाकर चल देते।+ 22 और बादल डेरे के ऊपर चाहे दो दिन या एक महीना या उससे भी ज़्यादा समय तक रुकता, इसराएली उतने समय तक अपनी छावनी डाले रहते और पड़ाव नहीं उठाते। लेकिन जब बादल उठता तब वे भी अपना पड़ाव उठाकर चल देते। 23 यहोवा के आदेश पर वे अपना पड़ाव डालते और यहोवा के आदेश पर ही वे रवाना होते। वे यहोवा की हर आज्ञा मानते थे। यहोवा उनसे मूसा के ज़रिए जो कहता वे वही करते थे।