अय्यूब
2 “मेरे खयाल मुझे बेचैन कर रहे हैं, बोलने को मजबूर कर रहे हैं,
मेरे अंदर हलचल मची है, मैं चुप नहीं रह सकता।
3 मैंने अपमान करनेवाली तेरी डाँट सुनी है
और अब मेरी समझ तुझे इसका जवाब देगी।
6 उसका घमंड चाहे आसमान तक पहुँच जाए,
उसका सिर बादलों को छू ले,
7 तब भी वह अपने मल की तरह हमेशा के लिए खाक हो जाएगा।
जो उस दुष्ट को देखा करते थे पूछेंगे, ‘कहाँ गया वह?’
8 वह सपनों की तरह उड़ जाएगा, ढूँढ़ने पर भी नहीं मिलेगा,
रात में देखे ख्वाब की तरह गायब हो जाएगा।
12 अगर बुराई उसके मुँह को मीठी लगती है
और वह उसे जीभ के नीचे दबा लेता है,
13 अगर वह उसे मुँह में ही रखता है,
चटकारे भर-भरके उसे खाता है,
14 तो वह उसके पेट में जाकर खट्टी हो जाएगी,
नाग के ज़हर की तरह ज़हरीली बन जाएगी।
15 उसने जो दौलत निगली है, उसे वह उगल देगा,
परमेश्वर उसके पेट से उसे निकाल लेगा।
16 वह नाग का ज़हर चूसेगा,
ज़हरीले साँप के डसने से मर जाएगा।
17 वह शहद और मक्खन की धाराएँ फिर न देखेगा,
उसे वे नदियाँ फिर नज़र न आएँगी।
19 क्योंकि उसने गरीबों को कुचलकर छोड़ दिया,
उस घर को हड़प लिया जो उसने नहीं बनाया।
20 फिर भी उसे मन की शांति नहीं मिलेगी,
उसकी दौलत उसे नहीं बचा पाएगी।
21 अब उसके हड़पने के लिए और कुछ नहीं बचा,
इसलिए उसकी खुशहाली भी चंद रोज़ की रह जाएगी।
22 अमीरी के शिखर पर पहुँचते ही चिंताएँ उसे आ घेरेंगी,
दुखों का पहाड़ उस पर टूट पड़ेगा।
23 वह अपना पेट भर ही रहा होगा
कि परमेश्वर* उस पर अपनी जलजलाहट बरसा देगा,
इतनी कि उसकी अंतड़ियाँ उससे भर जाएँगी।
24 जब वह लोहे के हथियार से बचकर भाग रहा होगा,
तब ताँबे के धनुष से निकले तीर उसे छलनी कर देंगे।
25 वह अपनी पीठ से उस तीर को बाहर निकालेगा,
जिसकी चमकती नोंक उसके पित्ते में जा घुसी है
और उस पर आतंक छा जाएगा।+
26 उसके खज़ाने को घोर अंधकार खा जाएगा,
वह उस आग में भस्म हो जाएगा जिसे किसी ने हवा न दी हो,
उसके डेरे में बचे हुओं पर आफत आ पड़ेगी।
27 स्वर्ग उसके गुनाहों का खुलासा करेगा,
धरती उसके खिलाफ गवाही देगी,
29 दुष्टों को परमेश्वर की तरफ से यही फल मिलेगा,
परमेश्वर ने उनके लिए यही विरासत ठहरायी है।”