भजन
दाविद की रचना।
2 जब मैं मदद के लिए पुकारूँ,
तेरे पवित्र-स्थान के भीतरी कमरे की तरफ अपने हाथ उठाऊँ,+
तो तू मेरी दुहाई सुनना।
3 तू दुष्टों के साथ मुझे घसीट न ले जाना,
जो नुकसान पहुँचानेवाले काम करते हैं,+
अपने संगी से शांति की बातें करते हैं, मगर उनके दिल में मैल भरा होता है।+
उनके किए की सज़ा उन्हें दे,
उन्होंने जो किया है उसका बदला उन्हें दे।+
वह उन्हें ढा देगा और दोबारा खड़ा नहीं करेगा।
6 यहोवा की तारीफ हो,
क्योंकि उसने मेरी मदद की पुकार सुनी है।
7 यहोवा मेरी ताकत+ और मेरी ढाल है।+
मेरा दिल उसी पर भरोसा करता है।+
मुझे उससे मदद मिली है और मेरा दिल मगन है,
इसलिए मैं अपने गीत में उसकी तारीफ करूँगा।
9 अपने लोगों को बचा ले, अपनी विरासत को आशीष दे।+
उनका चरवाहा बन जा और सदा उन्हें अपनी गोद में लिए रह।+