निर्गमन
29 तू उन्हें याजकों के नाते मेरी सेवा करने के लिए इस तरीके से पवित्र ठहराना: तू यह सब लेना, एक बैल, दो मेढ़े जिनमें कोई दोष न हो,+ 2 बिन-खमीर की रोटियाँ, छल्ले जैसी बिन-खमीर की रोटियाँ जो तेल से गूँधकर बनायी गयी हों और तेल चुपड़ी बिन-खमीर की पापड़ी।+ ये रोटियाँ और पापड़ी मैदे से बनाना 3 और इन्हें एक टोकरी में रखना।+ फिर बैल और दोनों मेढ़ों के साथ ये रोटियाँ और पापड़ी अर्पित करना।
4 तू हारून और उसके बेटों को भेंट के तंबू के द्वार+ पर लाना और उन्हें नहाने की आज्ञा देना।+ 5 फिर तू हारून के लिए बनाया गया कुरता, बिन आस्तीन का बागा, एपोद और सीनाबंद लेना और उसे पहनाना। एपोद का बुना हुआ कमरबंद उसकी कमर पर कसकर बाँधना।+ 6 तू उसके सिर पर पगड़ी रखना और पगड़ी पर समर्पण की पवित्र निशानी बाँधना।*+ 7 तू अभिषेक का तेल+ लेकर हारून के सिर पर उँडेलना और उसका अभिषेक करना।+
8 इसके बाद हारून के बेटों को सामने लाना और उन्हें कुरते पहनाना।+ 9 और हारून और उसके बेटों की कमर पर कमर-पट्टी बाँधना और उनके सिर पर साफा बाँधना। अब से याजकपद उनका होगा और यह नियम सदा के लिए है।+ इस तरह तू हारून और उसके बेटों को याजकपद सौंपना।*+
10 फिर तू भेंट के तंबू के सामने बैल को लाना और हारून और उसके बेटे बैल के सिर पर अपने हाथ रखेंगे।+ 11 तू तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने बैल हलाल करना।+ 12 उसका थोड़ा-सा खून अपनी उँगली पर लेना और वेदी के सींगों पर लगाना।+ बाकी सारा खून वेदी के नीचे उँडेल देना।+ 13 फिर बैल की वह सारी चरबी+ लेना जो अंतड़ियों को ढके रहती है और कलेजे के आस-पास होती है, साथ ही दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चरबी भी लेना और यह सब वेदी पर रखकर जलाना ताकि उनका धुआँ उठे।+ 14 मगर बैल का माँस, उसकी खाल और उसका गोबर छावनी के बाहर ले जाकर जला देना। यह पाप-बलि है।
15 इसके बाद तू दो मेढ़ों में से एक मेढ़ा लेना और हारून और उसके बेटे मेढ़े के सिर पर अपने हाथ रखें।+ 16 फिर वह मेढ़ा हलाल करना और उसका खून ले जाकर वेदी के चारों तरफ छिड़कना।+ 17 मेढ़े के टुकड़े-टुकड़े करना, उसकी अंतड़ियाँ और पाए साफ करना।+ उन टुकड़ों को और सिर को तरतीब से रखना। 18 तू पूरे मेढ़े को वेदी पर रखकर जलाना ताकि उसका धुआँ उठे। यह यहोवा के लिए होम-बलि है जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है।+ यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है।
19 इसके बाद तू दूसरा मेढ़ा लेना और उसके सिर पर हारून और उसके बेटे अपने हाथ रखें।+ 20 तू मेढ़ा हलाल करना और उसका थोड़ा-सा खून लेकर हारून और उसके बेटों के दाएँ कान के निचले सिरे पर और उनके दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाना। बाकी सारा खून वेदी के चारों तरफ छिड़कना। 21 फिर वेदी से थोड़ा खून लेना और थोड़ा-सा अभिषेक का तेल+ भी लेना और इन्हें हारून और उसकी पोशाक पर, साथ ही उसके बेटों और उनकी पोशाकों पर छिड़कना। इससे हारून और उसके बेटे और उन सबकी पोशाकें पवित्र ठहरेंगी।+
22 फिर मेढ़े की चरबी, उसकी चरबीवाली मोटी पूँछ और वह चरबी जो अंतड़ियों को ढके रहती है और कलेजे के आस-पास होती है, दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चरबी+ और दायाँ पैर अलग रखना क्योंकि यह मेढ़ा याजकपद सौंपने के मौके पर चढ़ाया जानेवाला मेढ़ा है।+ 23 साथ ही ये चीज़ें भी लेना: यहोवा के सामने रखी गयी बिन-खमीर की रोटियों की टोकरी में से एक गोल रोटी, एक पापड़ी और तेल से गूँधकर बनायी गयी छल्ले जैसी रोटी। 24 ये सारी चीज़ें तू हारून और उसके बेटों के हाथ पर रखना और इन चीज़ों को आगे-पीछे हिलाना। यह यहोवा के सामने हिलाया जानेवाला चढ़ावा है। 25 इसके बाद तू उनके हाथ से ये चीज़ें लेना और वेदी पर होम-बलि के ऊपर रखकर जलाना, जिससे उठनेवाली सुगंध से यहोवा खुश होगा। यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है।
26 इसके बाद तू उस मेढ़े का सीना लेना, जिसे हारून को याजकपद सौंपने के मौके पर+ उसकी खातिर बलि किया जाएगा। तू सीने को आगे-पीछे हिलाना। यह यहोवा के सामने हिलाया जानेवाला चढ़ावा है। मेढ़े का यह हिस्सा तुझे दिया जाएगा। 27 तू हारून और उसके बेटों को याजकपद सौंपने के मौके पर बलि करनेवाले मेढ़े के ये हिस्से पवित्र ठहराना: मेढ़े का सीना जो हिलाया जानेवाला चढ़ावा है और पवित्र चढ़ावे में से मेढ़े का पैर जो हिलाया गया था और लिया गया था।+ 28 यह हिस्सा हारून और उसके बेटों को दिया जाए क्योंकि यह पवित्र हिस्सा है। इसराएलियों को हमेशा के लिए यह नियम दिया जाता है कि यह हिस्सा उन्हें दिया करें।+ जब भी शांति-बलि चढ़ायी जाएगी तो यहोवा को देनेवाले पवित्र चढ़ावे में से यह हिस्सा हारून और उसके बेटों को दिया जाएगा।+
29 जो पवित्र पोशाक+ हारून की है, वह उसके बाद उसके बेटों को दी जाएगी।+ जब उनका अभिषेक किया जाएगा और उन्हें याजकपद सौंपा जाएगा, तब वे यह पोशाक पहनेंगे। 30 उसके बेटों में से जो उसकी जगह याजक चुना जाएगा और भेंट के तंबू में पवित्र जगह पर सेवा करने आएगा, वह सात दिन तक यह पोशाक पहनेगा।+
31 तू उस मेढ़े का गोश्त लेना जो याजकपद सौंपने के मौके पर चढ़ाया जाता है और उसे एक पवित्र जगह पर उबालना।+ 32 हारून और उसके बेटे भेंट के तंबू के द्वार पर मेढ़े का गोश्त और टोकरी में रखी रोटियाँ खाएँगे।+ 33 उन्हें वे चीज़ें खानी हैं जो उनके प्रायश्चित के लिए इसलिए चढ़ायी जाती हैं कि उन्हें याजकपद सौंपा जाए* और इस सेवा के लिए पवित्र ठहराया जाए। उनके सिवा किसी और* को ये चीज़ें खाने का अधिकार नहीं है क्योंकि ये पवित्र चीज़ें हैं।+ 34 याजकपद सौंपने के मौके पर दी गयी बलि के गोश्त और रोटियों में से अगर कुछ सुबह तक बच जाए, तो उसे आग में जला देना।+ उसे खाना मना है क्योंकि वह पवित्र है।
35 मैंने तुझे जो-जो आज्ञा दी है, उसी के मुताबिक तू हारून और उसके बेटों को याजक ठहराना। तू याजकपद सौंपने* की यह विधि सात दिन तक मानना।+ 36 तू उनके प्रायश्चित के लिए हर दिन पाप-बलि का बैल चढ़ाना और वेदी के लिए प्रायश्चित करके उसके पाप दूर करना और उसे शुद्ध करना और उसे पवित्र ठहराने के लिए उसका अभिषेक करना।+ 37 तू वेदी के लिए सात दिन तक प्रायश्चित करना और उसे पवित्र ठहराना ताकि वह ऐसी वेदी बन जाए जो बहुत पवित्र है।+ वेदी के पास सेवा करनेवाले हर किसी को पवित्र होना चाहिए।
38 तू हर दिन बिना नागा वेदी पर ये चीज़ें चढ़ाया करना:+ एक-एक साल के दो मेढ़े, 39 जिनमें से एक मेढ़ा सुबह चढ़ाना और दूसरा शाम के झुटपुटे के समय।*+ 40 पहले मेढ़े के साथ एपा* का दसवाँ भाग मैदा जिसमें एक-चौथाई हीन* शुद्ध तेल मिला हो और अर्घ चढ़ावे में एक-चौथाई हीन दाख-मदिरा चढ़ाना। 41 शाम के झुटपुटे के समय* दूसरे मेढ़े के साथ भी वही अनाज का चढ़ावा और अर्घ चढ़ाना जो तू सुबह चढ़ाएगा। तू यहोवा के लिए आग में जलाकर इसे चढ़ाना जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होगा। 42 तुम्हारे वंशजों को पीढ़ी-पीढ़ी तक भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने नियमित तौर पर यह होम-बलि सुबह-शाम चढ़ानी होगी। मैं उस द्वार पर तुम्हारे सामने प्रकट होऊँगा और तुझसे बात करूँगा।+
43 मैं उस द्वार पर इसराएलियों के सामने प्रकट होऊँगा और वह जगह मेरी महिमा से भरकर पवित्र हो जाएगी।+ 44 मैं भेंट के तंबू और वेदी को पवित्र ठहराऊँगा और हारून और उसके बेटों को पवित्र ठहराऊँगा+ ताकि वे याजकों के नाते मेरी सेवा करें। 45 मैं इसराएलियों के बीच निवास* करूँगा और उनका परमेश्वर होऊँगा।+ 46 वे बेशक जान जाएँगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ जो उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था ताकि उनके बीच निवास करूँ।+ मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।