यशायाह
56 यहोवा कहता है,
“न्याय की राह पर बने रहो+ और सही काम करो,
क्योंकि मैं जल्द ही तुम्हारा उद्धार करूँगा
और अपनी नेकी दिखाऊँगा।+
2 सुखी है वह इंसान जो ऐसा करता है
और जो इन बातों पर कायम रहता है,
जो सब्त मनाता है और इसे अपवित्र नहीं करता+
और जो हर तरह के बुरे काम करने से दूर रहता है।
और जो नपुंसक है वह यह न कहे, ‘देख! मैं तो सूखा पेड़ हूँ।’”
4 क्योंकि यहोवा कहता है, “जो नपुंसक मेरे ठहराए हुए सब्त मनाते हैं, वे वही करते हैं जो मुझे पसंद है और मेरा करार थामे रहते हैं,
5 मैं उन्हें अपने घर में, अपनी चारदीवारी के अंदर एक जगह* और एक नाम दूँगा,
जो बेटे-बेटियों के होने से कहीं बढ़कर होगा।
मैं उन्हें ऐसा नाम दूँगा जो हमेशा कायम रहेगा,
ऐसा नाम जो कभी नहीं मिटेगा।
6 और जो परदेसी यहोवा की सेवा करने के लिए,
यहोवा के नाम से प्यार करने के लिए+
और उसके सेवक बनने के लिए आगे आते हैं,
जो सब्त मनाते हैं और उसे अपवित्र नहीं करते,
जो मेरा करार थामे रहते हैं,
7 उन्हें भी मैं अपने पवित्र पर्वत पर लाऊँगा,+
अपने प्रार्थना के घर में खुशियाँ दूँगा,
उनकी होम-बलियाँ और बलिदान अपनी वेदी पर कबूल करूँगा।
मेरा घर देश-देश के सब लोगों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा।”+
8 सारे जहान का मालिक यहोवा, जो इसराएल के तितर-बितर हुए लोगों को इकट्ठा कर रहा है,+ ऐलान करता है,
“जो लोग इकट्ठे किए जा चुके हैं, उनके अलावा मैं औरों को भी इकट्ठा करूँगा।”+
10 पहरेदार अंधे हैं,+ उनमें से कोई ध्यान नहीं देता,+
सब-के-सब गूँगे कुत्ते हैं जो भौंक नहीं सकते,+
वे बस लेटे रहते हैं और हाँफते रहते हैं, उन्हें तो अपनी नींद प्यारी है।
वे ऐसे चरवाहे हैं जिनमें कोई समझ नहीं,+
सब अपनी मनमानी करते हैं,
हर कोई अपने फायदे के लिए बेईमानी करता है और कहता है,
कल का दिन आज जैसा होगा बल्कि आज से भी अच्छा होगा।”